भारतीय कोर सेक्टर में सुधार: सीमेंट, स्टील और खाद का उत्पादन बढ़ा

नवंबर 2025 में भारतीय कोर सेक्टर ने 1.8% की वृद्धि दर्ज की, जो अक्टूबर में आई सुस्ती के बाद एक सकारात्मक संकेत है। सीमेंट और स्टील के उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो निर्माण और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में गतिविधियों को दर्शाता है। हालांकि, ऊर्जा क्षेत्र में गिरावट चिंता का विषय है, विशेषकर कच्चे तेल और बिजली उत्पादन में कमी। जानें इस बदलाव का अर्थ क्या है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है।
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भारतीय कोर सेक्टर में सुधार: सीमेंट, स्टील और खाद का उत्पादन बढ़ा

कोर सेक्टर में वृद्धि के संकेत

भारतीय कोर सेक्टर में सुधार: सीमेंट, स्टील और खाद का उत्पादन बढ़ा

बाजार में लौटी रौनक

भारतीय अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे पर नजर रखने वालों के लिए नवंबर का महीना राहत भरी खबर लेकर आया है. अक्टूबर में आई भारी सुस्ती के बाद, देश के आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों यानी ‘कोर सेक्टर’ ने वापसी के संकेत दिए हैं. सोमवार को जारी किए गए ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2025 में कोर सेक्टर की वृद्धि दर 1.8 प्रतिशत रही है. यह बढ़त पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में दर्ज की गई है.

यह खबर इसलिए भी अहम है क्योंकि ठीक एक महीने पहले, यानी अक्टूबर 2025 में कोर सेक्टर की रफ्तार लगभग थम सी गई थी और यह महज 0.1 प्रतिशत पर सिमट गई थी, जो पिछले 14 महीनों का सबसे निचला स्तर था. ऐसे में नवंबर के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि औद्योगिक गतिविधियों में फिर से हलचल शुरू हो गई है.


सुस्ती के बाद वापसी

किसी भी देश की औद्योगिक सेहत को मापने के लिए ‘इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन’ (IIP) एक बड़ा पैमाना होता है, और इसमें कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है. यानी अगर कोर सेक्टर अच्छा प्रदर्शन करता है, तो इसका सीधा सकारात्मक असर देश के समग्र औद्योगिक उत्पादन पर पड़ता है.

नवंबर के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो साफ है कि इस बार विकास की गाड़ी को खींचने का काम मुख्य रूप से चार पहियों ने किया है—सीमेंट, स्टील, कोयला और फर्टिलाइजर (उर्वरक). इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने का सीधा मतलब है कि देश में निर्माण कार्य, खेती और बिजली उत्पादन की मांग में स्थिरता या बढ़ोतरी देखी जा रही है.


इन सेक्टर्स ने दिखाया दम

आम आदमी के नजरिए से देखें तो सीमेंट और स्टील का उत्पादन बढ़ना इस बात का संकेत है कि देश में कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम तेजी से हो रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार, सीमेंट सेक्टर ने सबसे शानदार प्रदर्शन किया है. नवंबर महीने में सीमेंट उत्पादन में 14.5 प्रतिशत का भारी उछाल आया है. यह उछाल बताता है कि रियल एस्टेट और सरकारी परियोजनाओं में काम की गति तेज हुई है.

वहीं, स्टील सेक्टर भी पीछे नहीं रहा. स्टील उत्पादन में 6.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके अलावा, कोयला उत्पादन में 2.1 प्रतिशत और फर्टिलाइजर उत्पादन में 5.6 प्रतिशत की स्वस्थ वृद्धि देखी गई है. फर्टिलाइजर का बढ़ना रबी की फसल के सीजन में किसानों के लिए खाद की उपलब्धता के लिहाज से एक अच्छा संकेत माना जा सकता है.


बिजली और कच्चे तेल ने किया निराश

हालांकि, तस्वीर का दूसरा पहलू थोड़ा चिंताजनक है. जहां एक तरफ निर्माण सामग्री वाले सेक्टर्स ने बाजी मारी, वहीं ऊर्जा से जुड़े क्षेत्रों ने निराश किया है. नवंबर में कच्चे तेल के उत्पादन में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसी तरह, नेचुरल गैस का उत्पादन भी 2.5 प्रतिशत घट गया है.

सबसे ज्यादा हैरानी बिजली उत्पादन के आंकड़ों को देखकर होती है. नवंबर महीने में बिजली उत्पादन में 2.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों में भी 0.9 प्रतिशत की मामूली कमी आई है. ऊर्जा क्षेत्र में यह गिरावट भविष्य में औद्योगिक आपूर्ति के लिए एक चुनौती बन सकती है, जिस पर नीति निर्माताओं को ध्यान देने की जरूरत होगी.