भारत विभाजन की विभीषिका पर स्मृति दिवस का आयोजन

भोपाल में आयोजित विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर अतिथियों ने विभाजन के दर्द और उसके सबक पर चर्चा की। कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं ने बताया कि कैसे विभाजन ने देश को प्रभावित किया और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। इस अवसर पर कई गणमान्य नागरिक और छात्राएं उपस्थित थीं, जिन्होंने विभाजन के दौरान हुई त्रासदियों को याद किया।
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भारत विभाजन की विभीषिका पर स्मृति दिवस का आयोजन

भारत विभाजन की पीड़ा को याद करते हुए

भोपाल। भारत का विभाजन एक ऐसा दुखद अध्याय है, जिसे देशवासी कभी नहीं भुला पाएंगे। यह केवल एक क्षण का नहीं, बल्कि सदियों का दर्द है, जो आज भी लोगों के दिलों में गहराई से बसा हुआ है। इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में अतिथियों ने अपने विचार साझा किए।




कार्यक्रम की शुरुआत में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक संजय द्विवेदी और जनसंपर्क विभाग के पूर्व संचालक लाजपत आहूजा ने अपने विचार रखे।




आहूजा ने कहा कि विभाजन के दर्द को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं, क्योंकि मेरे परिवार ने इसे सहा है।




संगोष्ठी में प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कहा कि 1947 में बंटवारे के बाद भी हम रक्तपात को रोकने में असफल रहे। इसलिए, भारत विभाजन की पीड़ा को समझना आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। हमें अपने इतिहास को समझना होगा, जिससे हम जान सकें कि हम किस प्रकार वर्तमान स्थिति तक पहुंचे हैं और भविष्य में हमें क्या करना है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी हमारे बीच मतभेद थे, जिन्हें अंग्रेजों ने भुनाया। हमें अपनी कमियों पर ध्यान देना होगा और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होगा। यदि हम सतर्क होते, तो बंटवारा टल सकता था। बंटवारे के बाद देश ने सांप्रदायिक दंगों का सामना किया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी ही देश की एकता और अखंडता को बनाए रख सकती है।




लाजपत आहूजा ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की घोषणा करके पीड़ितों को अपने दर्द को साझा करने का अवसर दिया है। बंटवारे के दौरान जो घटनाएं हुईं, उनसे आने वाली पीढ़ियों को सीखने का मौका मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अपने ही देश के लोगों को बंटवारे के बाद शरणार्थी कहा गया।




उन्होंने विभाजन के दौरान महिलाओं और युवतियों के साथ हुए अत्याचारों का उल्लेख किया और कहा कि त्रासदी के पीड़ितों को न्याय नहीं मिला। पत्र सूचना कार्यालय एवं केंद्रीय सूचना ब्यूरो के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे ने स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि इस अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।




कार्यक्रम में शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर अजय अग्रवाल, पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक मनीष गौतम और केंद्रीय सूचना संचार ब्यूरो के उपनिदेशक शारिक नूर ने भी अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक पराग मांदले ने किया। इस अवसर पर सहायक निदेशक करिश्मा पंत, सहायक निदेशक अजय उपाध्याय, सहायक निदेशक समीर वर्मा सहित कई गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं।