भारत-रूस संबंधों में मजबूती: सर्वेक्षण से मिली नई जानकारी

भारत और रूस के बीच संबंधों में निरंतर मजबूती देखने को मिल रही है, जैसा कि हालिया सर्वेक्षण में भारत की रैंकिंग में सुधार से स्पष्ट है। रूस के नागरिकों ने भारत को अपने मित्र राष्ट्रों में तीसरे स्थान पर रखा है। इस लेख में जानें कि कैसे भारत ने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को अस्वीकार किया और इसके पीछे के ऐतिहासिक कारण क्या हैं।
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भारत-रूस संबंधों में मजबूती: सर्वेक्षण से मिली नई जानकारी

भारत और रूस की बढ़ती दोस्ती

भारत और रूस के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं, जो हाल ही में पाकिस्तान के साथ तनाव में भी स्पष्ट हुआ। रूसी S-400 हथियार प्रणाली ने पाकिस्तान के हमलों को विफल कर दिया है। रूस की जनता ने भी भारत के साथ अपने संबंधों को स्वीकार किया है। एक सरकारी सर्वेक्षण से पता चला है कि रूस के नागरिक चीन, बेलारूस और भारत को अपने सबसे अच्छे मित्र राष्ट्र मानते हैं।


रूस में भारत की रैंकिंग में सुधार

सर्वेक्षण में चीन को 65% समर्थन के साथ पहले स्थान पर रखा गया है, जबकि बेलारूस 41% के साथ दूसरे और भारत 26% के साथ तीसरे स्थान पर है। यह ध्यान देने योग्य है कि भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है, जो पहले पांचवें स्थान पर था।


उछाल का कारण

सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टैनिस्लाव तकाचेंको ने बताया कि भारत की रैंकिंग में सुधार का कारण निरंतरता है। युद्ध की शुरुआत से भारत ने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को अस्वीकार किया है। भारत के साथ व्यापार तब से बढ़ा है जब पश्चिम ने रूस पर दबाव डालना शुरू किया।


भारत-रूस के ऐतिहासिक संबंध

भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंध 1947 में स्थापित हुए थे। उस समय भारत आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा था और सोवियत संघ ने भारी उद्योग में सहायता प्रदान की। भारत और रूस के संबंध हर साल मजबूत होते जा रहे हैं, विशेषकर 1971 के युद्ध के दौरान जब सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया।


सोवियत संघ का समर्थन

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी सोवियत संघ ने मध्यस्थता की थी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत-रूस संबंध पिछले आधी सदी से वैश्विक राजनीति में स्थिरता का प्रतीक हैं।