भारत-रूस संबंधों पर अमेरिका की कड़ी प्रतिक्रिया: दवाओं की लागत में वृद्धि की आशंका

भारत और रूस के बीच बढ़ती दोस्ती से चिंतित अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। इस कदम से अमेरिका में आवश्यक दवाओं की लागत में वृद्धि होने की आशंका है, जिससे वहां के उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। फार्मेक्सिल के चेयरमैन ने चेतावनी दी है कि भारत की दवा आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी व्यवधान से दवाओं की कमी हो सकती है। जानें इस व्यापार तनाव के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
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भारत-रूस संबंधों पर अमेरिका की कड़ी प्रतिक्रिया: दवाओं की लागत में वृद्धि की आशंका

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव

भारत और रूस के बीच बढ़ती नजदीकी से चिंतित अमेरिका ने भारत के खिलाफ कई कठोर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिसके कुछ ही घंटों बाद उन्होंने पाकिस्तान के साथ एक व्यापार समझौते का ऐलान किया। ट्रंप ने यह भी कहा कि भविष्य में पाकिस्तान भारत को तेल बेच सकता है। इस स्थिति से न केवल भारत को, बल्कि अमेरिका को भी नुकसान होने की संभावना है।


दवाओं की लागत में वृद्धि का खतरा

भारतीय औषधि निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) ने बताया कि ट्रंप के इस निर्णय से अमेरिका में आवश्यक दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अंततः वहां के उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। फार्मेक्सिल के चेयरमैन नमित जोशी ने कहा कि अमेरिका भारतीय सक्रिय औषधि सामग्री (एपीआई) और कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं पर निर्भर है, और वैकल्पिक स्रोत खोजने में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।


भारत की दवा आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव

जोशी ने कहा कि भारत लंबे समय से किफायती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। भारत अमेरिका की लगभग 47 प्रतिशत दवा आवश्यकताओं को पूरा करता है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी व्यवधान से दवाओं की कमी और कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान होगा।


भविष्य की चुनौतियाँ

जोशी ने यह भी बताया कि दवा निर्माण और एपीआई उत्पादन को अन्य देशों में स्थानांतरित करने में कई वर्ष लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि फार्मेक्सिल भारतीय दवा निर्यातकों और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा समुदाय के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।