भारत-रूस की रक्षा साझेदारी: ब्रह्मोस मिसाइल का नया वेरिएंट

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग एक नई दिशा में बढ़ रहा है, जिसमें 800 मिलियन डॉलर की डील के तहत ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण पर काम किया जा रहा है। यह नया वेरिएंट मैक-4.5 की गति से उड़ान भरने में सक्षम होगा, जिससे इसकी मारक क्षमता और भी बढ़ जाएगी। जानें इस प्रोजेक्ट के पीछे की तकनीक और इसके वैश्विक हथियार बाजार में प्रभाव के बारे में।
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भारत-रूस की रक्षा साझेदारी: ब्रह्मोस मिसाइल का नया वेरिएंट

भारत और रूस की नई रक्षा डील

भारत-रूस की रक्षा साझेदारी: ब्रह्मोस मिसाइल का नया वेरिएंट

नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है। हाल ही में, दोनों देशों ने 800 मिलियन डॉलर की एक महत्वपूर्ण डील पर हस्ताक्षर किए हैं, जो वैश्विक हथियार बाजार में हलचल पैदा कर रही है। इन दोनों देशों की संयुक्त परियोजना ब्रह्मोस एयरोस्पेस अब ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को और अधिक घातक और तेज बनाने की दिशा में काम कर रही है।

वर्तमान में ब्रह्मोस की गति मैक-3 है, जबकि नए संस्करण को मैक-4.5 (Mach 4.5) की गति पर उड़ान भरने के लिए विकसित किया जा रहा है। यह उन्नयन भारत को आने वाले दशकों में वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण बढ़त दिला सकता है।

सूत्रों के अनुसार, यह उन्नयन मिसाइल के रैमजेट इंजन को और अधिक शक्तिशाली बनाने पर केंद्रित है, जिससे इसकी मारक क्षमता 450 से 800 किलोमीटर के बीच बनी रहेगी। इसके अलावा, इसकी गति दुश्मन के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को मात देने में सक्षम होगी। इस मिसाइल की अंतरराष्ट्रीय मांग में भी वृद्धि की उम्मीद है।

रैमजेट इंजन की शक्ति
इस परियोजना में रूस के वैज्ञानिक और भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) मिलकर काम कर रहे हैं। इसका मुख्य ध्यान नए उच्च तापमान मिश्र धातुओं और विशेष ईंधन पर है, ताकि इतनी तेज गति पर भी इंजन और एयरफ्रेम सही तरीके से कार्य कर सकें।

मौजूदा एयरफ्रेम की मजबूती
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा ब्रह्मोस का एयरफ्रेम इतना मजबूत है कि वह बिना बड़े बदलाव के मैक-4.5 की गति को सहन कर सकता है। हालांकि, इतनी गति पर तापमान और दबाव को संभालने के लिए नई सामग्रियों का उपयोग करना आवश्यक होगा।

2030 तक तैनाती की योजना
जानकारी के अनुसार, अपग्रेडेड ब्रह्मोस का ग्राउंड टेस्ट अगले तीन वर्षों में शुरू हो सकता है। इसके बाद उड़ान परीक्षण और इंटीग्रेशन की प्रक्रिया शुरू होगी। अनुमान है कि यह नया संस्करण 2030 की शुरुआत तक तैनाती के लिए तैयार हो जाएगा।

दुश्मनों के लिए चुनौती
मैक-4.5 की गति हासिल करने के बाद, दुश्मन देशों के पास इस मिसाइल को इंटरसेप्ट करने का समय नहीं होगा। यह किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। साथ ही, इसकी हिट एनर्जी इतनी अधिक होगी कि यह अंडरग्राउंड बंकर, नौसैनिक जहाज और कमांड सेंटर्स को भी नष्ट कर सकती है।

वर्तमान में, ब्रह्मोस मिसाइल को फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों ने खरीदा है। लेकिन नए संस्करण के आने के बाद अन्य देशों से भी बड़े ऑर्डर मिलने की संभावना है, जो भारत को वैश्विक हथियार बाजार में और मजबूत करेगा।