भारत-यूके संबंधों को मजबूत करने के लिए मोदी और स्टार्मर की मुंबई में बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने मुंबई में एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें भारत-यूके के बीच व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की गई। इस बैठक का उद्देश्य विजन 2035 रोडमैप के तहत दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। व्यापार समझौते के महत्व और खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर चिंता भी इस वार्ता का हिस्सा रही। जानें इस बैठक के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।
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भारत-यूके संबंधों को मजबूत करने के लिए मोदी और स्टार्मर की मुंबई में बैठक

प्रधानमंत्री मोदी और कीर स्टार्मर की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में अपने ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टार्मर से मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य विजन 2035 रोडमैप के तहत भारत-यूके के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है।


चर्चा में सीईओ फोरम और ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में भागीदारी के साथ-साथ व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, रक्षा, जलवायु और शिक्षा में सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।


भारत-ब्रिटेन संबंधों को बढ़ावा

बैठक के दौरान व्यापार, रक्षा, सुरक्षा और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भारत-ब्रिटेन संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। ब्रिटिश नेता कीर स्टार्मर, 125 प्रमुख व्यापारिक नेताओं, उद्यमियों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुंबई पहुंचे हैं।


यह यात्रा दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के ढाई महीने बाद हो रही है। इस समझौते से बाजार पहुंच में वृद्धि, शुल्क में कमी और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार के दोगुना होने की उम्मीद है।


व्यापार समझौते का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी की जुलाई में लंदन यात्रा के दौरान इस व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। स्टार्मर ने कहा कि यह समझौता दोतरफा विकास के लिए एक ‘लॉन्चपैड’ है और इससे भारत के 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।


उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं है, बल्कि विकास का एक ‘लॉन्चपैड’ है। भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है और इसके साथ व्यापार तेज और किफायती होगा।'


चिंताएँ और प्रत्यर्पण की मांग

इस वार्ता में भारतीय पक्ष द्वारा ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों पर चिंता जताने के साथ-साथ विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे अरबपति भगोड़ों के प्रत्यर्पण की भी मांग की जा सकती है।


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