भारत में सहकारिता का विकास: संयुक्त राष्ट्र में महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन

संयुक्त राष्ट्र में सहकारिता पर कार्यक्रम
भारत के स्थायी मिशन ने केन्या और मंगोलिया के स्थायी मिशनों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र में 'सहकारिता और सतत विकास: गति बनाए रखना और नए रास्ते तलाशना' विषय पर एक स्मारक कार्यक्रम का आयोजन किया। गृह मंत्री अमित शाह ने एक पूर्व-रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में सहकारिता की भूमिका पर जोर दिया, जो राष्ट्रीय और वैश्विक चुनौतियों जैसे असमानता और खाद्य सुरक्षा से निपटने में सहायक है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' के सिद्धांत का उल्लेख किया।
सहकारिता का नया दृष्टिकोण
अमित शाह ने कहा कि भारत में सहकारिता अब पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ चुकी है और यह डिजिटल सेवाओं, ऊर्जा, और वित्तीय समावेशन जैसे क्षेत्रों में नवाचार का माध्यम बन गई है। उन्होंने इस कार्यक्रम में सहकारिता की सामुदायिक प्रणाली की विशेषताओं को उजागर किया, जो कृषि से लेकर वित्त और ग्रामीण सशक्तीकरण तक फैली हुई है।
सहकारिता का महत्व
शाह ने बताया कि सहकारिता की अवधारणा न केवल आज के समय में प्रासंगिक है, बल्कि यह सतत और समावेशी विकास के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचार सहकारिताओं को और अधिक समावेशी बना रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025' के उपलक्ष्य में किया गया।
भारत में सहकारिता मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि भारत ने हाल ही में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की है, जो सहकारी क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा। भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने सहकारी क्षेत्र की राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।