भारत में लोन वुल्फ हमलों का खतरा: अलकायदा की नई रणनीति

भारत में लोन वुल्फ हमलों की संभावना बढ़ रही है, जैसा कि हाल ही में पुणे में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की गिरफ्तारी से स्पष्ट हुआ है। यह नया आतंकवादी पैटर्न सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। जानें कि लोन वुल्फ हमले क्या होते हैं, कैसे ये हमलावर काम करते हैं, और क्यों आतंकवादी संगठन इस रणनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। इस लेख में हम लोन वुल्फ आतंकवाद के इतिहास और हाल के हमलों पर भी चर्चा करेंगे।
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भारत में लोन वुल्फ हमलों का खतरा: अलकायदा की नई रणनीति

भारत में लोन वुल्फ हमलों की आशंका

भारत में लोन वुल्फ हमलों का खतरा: अलकायदा की नई रणनीति

भारत में 'लोन वुल्फ' हमले की संभावना बढ़ गई है।

हाल ही में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने पुणे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जुबैर हैंगरगेकर, को गिरफ्तार किया है। यह व्यक्ति अलकायदा से जुड़ा हुआ था और जांच में पता चला कि वह 2019 से ऑनलाइन इस संगठन के संपर्क में था। जुबैर ने इस संगठन के निर्देश पर देश में 'लोन वुल्फ अटैक' की योजना बनाई थी।

इस संदर्भ में यह जानना आवश्यक है कि 'लोन वुल्फ अटैक' क्या होता है और आतंकवादी इस तरीके से दुनिया को क्यों दहशत में डालने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, यह भी समझना होगा कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये हमले क्यों चुनौतीपूर्ण बनते जा रहे हैं।

आतंकवाद का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। पहले आतंकवाद का मतलब था एक संगठित समूह जो बड़े हमलों की योजना बनाता था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। अब कई हमले अकेले व्यक्तियों द्वारा किए जा रहे हैं, जिनके पास न तो कोई टीम होती है और न ही कोई बड़ा नेटवर्क। फिर भी, वे उतना ही नुकसान पहुंचा सकते हैं जितना बड़े संगठनों द्वारा किया जाता था। ऐसे हमलों को 'लोन वुल्फ अटैक' कहा जाता है, जिसका अर्थ है अकेला भेड़िया, जो चुपचाप अपनी योजना बनाता है और अचानक हमला करता है।

लोन वुल्फ हमलों की बढ़ती संख्या

2019 में जारी ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स ने चेतावनी दी थी कि भविष्य में लोन वुल्फ हमले बढ़ सकते हैं और ये अत्यधिक खतरनाक साबित हो सकते हैं। हाल ही में अमेरिका के लॉस एंजेलिस में एक तेज रफ्तार कार ने भीड़ में घुसकर 20 से अधिक लोगों को घायल कर दिया। इसी तरह, कनाडा के वैंकूवर में भी एक घटना में 11 लोगों की जान गई और 20 लोग घायल हुए। पिछले क्रिसमस पर जर्मनी में एक सऊदी डॉक्टर ने बाजार में गाड़ी चढ़ा दी, जिससे कई जिंदगियां खत्म हो गईं। इन सभी मामलों की जांच में पता चला कि ये हमले किसी संगठित समूह द्वारा नहीं, बल्कि अकेले व्यक्तियों द्वारा किए गए थे।

लोन वुल्फ हमलावर कौन होते हैं?

लोन वुल्फ हमले वे होते हैं जो एक व्यक्ति द्वारा किए जाते हैं, जो किसी विशेष विचारधारा से प्रेरित होता है। यह विचारधारा उसे इंटरनेट, सोशल मीडिया, वीडियो, चर्चाओं और कट्टरपंथी समूहों के भाषणों से मिलती है। कई बार ये लोग किसी संगठन के सीधे सदस्य नहीं होते, लेकिन उनकी सोच उस संगठन से मिलती-जुलती होती है। अक्सर ये लोग समाज में सामान्य जीवन जीते हैं, जिससे उन्हें पहचानना मुश्किल होता है।

हिंसा की ओर बढ़ने की प्रक्रिया

इन हमलावरों को आमतौर पर इंटरनेट के डार्कनेट पर ऐसी सामग्री मिलती है, जो उन्हें कट्टरता की ओर धकेलती है। वहां लोग गुप्त रूप से बातचीत करते हैं, हिंसा की योजनाएं बनाते हैं और एक-दूसरे को उकसाते हैं। सुरक्षा एजेंसियों के लिए डार्कनेट को ट्रैक करना बेहद कठिन होता है, जिससे हमले की पूर्व सूचना मिलना मुश्किल हो जाता है।

आतंकी संगठनों का लोन वुल्फ हमलों को बढ़ावा देना

कई आतंकी संगठन अब इस मॉडल को बढ़ावा दे रहे हैं। वे जानते हैं कि किसी देश में सीधे हमला करने के लिए संसाधनों की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि वे इंटरनेट के माध्यम से लोगों को प्रभावित कर दें, तो बिना किसी खर्च के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता अबू मोहम्मद अल अदनानी ने 2014 में लोन वुल्फ हमलों की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि यदि आपके पास हथियार नहीं हैं, तो आप कार को ही अपना हथियार बनाकर पश्चिमी देशों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लोन वुल्फ आतंकवाद का एक बड़ा उदाहरण 2019 में न्यूजीलैंड में देखने को मिला था, जब एक चरमपंथी ने क्राइस्टचर्च में गोलियां चलाकर 51 लोगों की हत्या कर दी थी।

लोन वुल्फ आतंकवाद की उत्पत्ति

हालांकि आत्मघाती हमले लंबे समय से हो रहे थे, लेकिन 'लोन वुल्फ' शब्द 1990 के दशक में प्रचलित हुआ। उस समय कुछ श्वेत नस्लवादी समूहों ने अपने समर्थकों से कहा कि वे अकेले हमला करें। बाद में इस तरीके को इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों ने भी अपनाया। अमेरिका में एक शोध प्रोजेक्ट चल रहा है जो ऐसे लोगों की प्रोफाइल का अध्ययन करता है। यह पाया गया है कि वहां होने वाले 70 प्रतिशत हमले अकेले व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं।

इंटरनेट से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले आतंकवादी

ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स के अनुसार, कई हमलावरों ने बम बनाने और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग इंटरनेट से ली है। डार्कनेट पर ये लोग एक-दूसरे को सलाह देते हैं और हमले की योजना बनाते हैं। यह सब बिना किसी सीधी मुलाकात के होता है। इतिहास में पहला लोन वुल्फ हमला 15 नवंबर 1988 को दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में हुआ था।

लोन वुल्फ हमलों की घटनाएं

2018- पिट्सबर्ग, यहूदी सिनेगॉग पर गोलीबारी, 11 लोग मारे गए।
12 जून 2016- ऑरलैंडो, फ़्लोरिडा के नाइटक्लब में फायरिंग, 50 की मौत, 53 घायल।
02 दिसंबर 2015- सैन बर्नारडिनो, कैलिफोर्निया में फायरिंग, 14 की मौत, 17 घायल।
27 नवंबर 2015- कोलोरैडो स्प्रिंग्स में गोलीबारी में तीन नागरिक और एक पुलिस अधिकारी मारे गए।
01 अक्टूबर 2015- रोसबर्ग, ऑरेगन में कॉलेज परिसर में हमले में 10 लोग मारे गए।
16 जुलाई 2015- चट्टानूगा, टेनेसी में दो सैन्य ठिकानों पर फायरिंग, चार नौसैनिक और एक अधिकारी की मौत।
24 अक्टूबर 2014- वॉशिंगटन के मेरीस्विले में 15 वर्षीय छात्र ने स्कूल कैफेटेरिया में गोलीबारी की, 4 की मौत।
23 मई 2014- कैलिफोर्निया के इस्ला विस्ता में एक कॉलेज छात्र ने छह लोगों की हत्या की।
07 जून 2013- सैंटा मोनिका, कैलिफोर्निया में सार्वजनिक स्थानों पर फायरिंग; पांच लोग मारे गए।