भारत में रोजगार की नई गारंटी: वीबी-जी राम जी कानून का प्रभाव

भारत में राष्ट्रपति ने वीबी-जी राम जी कानून को मंजूरी दी है, जो ग्रामीण परिवारों को 125 दिन की रोजगार गारंटी प्रदान करेगा। यह कानून ग्रामीण जीवन को सशक्त बनाने और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया, लेकिन सरकार का दावा है कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। जानें इस कानून के तहत क्या बदलाव होंगे और इसका किसानों और मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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भारत में रोजगार की नई गारंटी: वीबी-जी राम जी कानून का प्रभाव

नई रोजगार नीति का ऐतिहासिक कदम

नई दिल्ली

राष्ट्रपति ने विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) या वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025 को स्वीकृति प्रदान की है। इस स्वीकृति के साथ, यह विधेयक अब कानून का रूप ले चुका है। इस कानून के अंतर्गत, ग्रामीण परिवारों को मिलने वाली वैधानिक मजदूरी की गारंटी को बढ़ाकर अब एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 125 दिन कर दिया गया है। सरकार इसे ग्रामीण जीवन को सशक्त बनाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम मानती है। उनका कहना है कि वीबी-जी राम जी कानून लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कानूनी गारंटी पहले से अधिक मजबूत होगी।

इस विधेयक पर चर्चा संसद में रात भर चली थी। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जानबूझकर मनरेगा का नाम बदल रही है, क्योंकि मनरेगा में महात्मा गांधी का नाम शामिल था। वहीं, सरकार का कहना है कि पहले की योजना में लोगों को 100 दिन का काम दिया जाता था, जबकि अब इस कानून के तहत कम से कम 125 दिन काम देना अनिवार्य है।

इस बहस के दौरान कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आएगी, तो वह इसका नाम बदल देंगे। इन सभी हंगामों के बीच, इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। हालांकि, विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया और इसके बाद संविधान सदन के बाहर धरना भी दिया।

इस कानून के अनुसार, अब पात्र ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिन तक मजदूरी आधारित काम उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। इसका मुख्य उद्देश्य गांवों में रहने वाले श्रमिकों, किसानों और भूमिहीन परिवारों की आय बढ़ाना और उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। सरकार का मानना है कि इससे गांवों में गरीबी कम होगी और लोगों को अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिलेगा।

समावेशी विकास की दिशा में कदम
सरकार का कहना है कि नए कानून का उद्देश्य केवल रोजगार प्रदान करना नहीं है, बल्कि ग्रामीण समाज का समग्र सशक्तिकरण भी है। वीबी-जी राम जी के तहत समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई है, ताकि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। सरकार का दावा है कि यह कानून महिलाओं, कमजोर वर्गों और जरूरतमंद परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायी मजबूती मिलेगी।

सरकार चाहती है कि ग्रामीण इलाकों में चल रही योजनाएं एक-दूसरे से जुड़कर अधिक प्रभावी परिणाम दें। सड़कों, जल संरक्षण, सिंचाई, आवास और अन्य बुनियादी सुविधाओं से जुड़े कार्यों को रोजगार से जोड़कर गांवों की तस्वीर बदलने की योजना है। इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता और गति दोनों बढ़ेंगी।

वीबी-जी राम जी कानून में संतृप्ति आधारित डिलीवरी को विशेष महत्व दिया गया है। इसका अर्थ है कि कोई भी पात्र परिवार योजना के लाभ से वंचित नहीं रहेगा। सरकार का कहना है कि अंतिम व्यक्ति तक रोजगार और आजीविका का लाभ पहुंचाना इस कानून का मुख्य उद्देश्य है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता कम होगी और विकास का लाभ सभी तक पहुंचेगा।

सरकार का मानना है कि यह कानून समृद्ध, मजबूत और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की नींव को और मजबूत करेगा। रोजगार बढ़ने से गांवों में आय के साधन मजबूत होंगे और शहरों की ओर पलायन पर भी रोक लगेगी। वीबी-जी राम जी को ग्रामीण भारत के भविष्य के लिए एक निर्णायक कदम माना जा रहा है, जो लंबे समय तक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।

मनरेगा से वीबी-जी राम जी में क्या अंतर है?
केंद्र सरकार का कहना है कि नए नियमों से मनरेगा की संरचनात्मक कमियों को दूर किया गया है। सबसे पहले, योजना के तहत रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का दावा किया गया है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले सभी कार्यों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक में शामिल किया जाएगा। कानून में कहा गया है कि इससे ग्रामीण स्तर पर सार्वजनिक कार्यों के लिए एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्रीय ढांचा तैयार होगा। इसी के आधार पर गांवों में आगे के कामों को लेकर तैयारियां होंगी।

कानून में दी गई जानकारी के अनुसार, इस तरह गांवों के लिए एकीकृत ढांचा तैयार करने से देशभर में उत्पादक, टिकाऊ, सुदृढ़ और बदलाव में सक्षम ग्रामीण परिसंपत्तियों (एसेट्स) का निर्माण सुनिश्चित होगा। केंद्र और राज्य 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य के तहत इन परिसंपत्तियों को आगे बढ़ाने की योजनाएं साझा तौर पर तैयार करेंगी। यानी एक राष्ट्रीय नीति के तहत काम के बिखराव को समेटा जाएगा और तय दिशा में इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

किसानों और मजदूरों के लिए कानून में क्या है?
चूंकि राज्य सरकारें तय कर सकती हैं कि किस अवधि में बुवाई और कटाई का ध्यान रखते हुए वीबी-जी राम जी के तहत 60 दिन के लिए काम रोकना है, ऐसे में किसानों को अपने खेतों पर काम करने के लिए मजदूरों की कमी नहीं पड़ेगी। खासकर पीक सीजन के दौरान। इससे मजदूरों को भी मनरेगा के काम से अतिरिक्त अपने लिए बाकी स्रोतों से वेतन जुटाने में मदद मिलेगी।

इतना ही नहीं, चूंकि किसानों के लिए मजदूर सही स्तर पर उपलब्ध रहेंगे, ऐसे में उन्हें अतिरिक्त वेतन पर मजदूरों को नहीं रखना होगा। कई बार किसानों पर पड़ने वाले इस अतिरिक्त बोझ का असर फसलों की कीमत पर पड़ता है, क्योंकि ज्यादा खर्च की वजह से उन्हें लाभ लेने के लिए फसलों के दाम बढ़ाने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त, मजदूरों के लिए काम के दिन बढ़ाकर 100 से 125 किए गए हैं। यानी उन्हें आर्थिक तौर पर भी ज्यादा रकम हासिल करने में मदद मिलेगी।