भारत में मध्यवर्गीय क्षेत्र की नौकरियों पर गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है, जो केवल आर्थिक मंदी के कारण नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई अन्य कारण भी हैं। Marcellus Investment Managers के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने चेतावनी दी है कि यदि नीति निर्माता समय पर उचित कदम नहीं उठाते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
नौकरियों में बदलाव के कारण
मुखर्जी के अनुसार, यह संकट केवल आर्थिक मंदी का परिणाम नहीं है। कंपनियाँ लागत में कटौती और दक्षता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन का सहारा ले रही हैं। IT, बैंकिंग और मीडिया जैसे पारंपरिक मध्यवर्गीय क्षेत्रों में अब गिग नौकरियों का चलन बढ़ रहा है। विज्ञापन, मॉडलिंग और मीडिया के कई कार्य अब AI द्वारा किए जा रहे हैं।
गिग इकोनॉमी का बढ़ता प्रभाव
मुखर्जी ने बताया कि अगले दो-तीन वर्षों में भारत का कार्यबल काफी हद तक गिग इकोनॉमी की ओर बढ़ सकता है। यह केवल राइडशेयर या फूड डिलीवरी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कई पेशेवर क्षेत्रों में भी गिग नौकरियों का प्रभाव देखने को मिलेगा।
घरेलू कर्ज और वित्तीय दबाव
भारत में घरेलू कर्ज का बोझ भी इस संकट को और बढ़ा रहा है। होम लोन को छोड़कर, भारतीय घरेलू कर्ज आय का लगभग 33-34% है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक माना जाता है। इस कारण उपभोग को बढ़ावा देना इतना आसान नहीं है।
अमेरिका के व्यापारिक तनाव का असर
मुखर्जी ने अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और ट्रंप टैरिफ की संभावित वापसी पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ट्रंप टैरिफ को समाप्त नहीं किया गया, तो क्रिसमस तक लगभग 2 करोड़ भारतीय नौकरियों को खतरा हो सकता है।
