भारत में महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति: चिंता और समाधान

भारत में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें 50% महिलाएं वर्क-लाइफ बैलेंस और आर्थिक दबाव के कारण तनाव में हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 42% महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षण पाए गए हैं। इसके अलावा, ग्रामीण महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों और 18-35 वर्ष की महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य प्रवृत्तियों पर भी चर्चा की गई है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या जानकारी दी गई है और कैसे महिलाएं अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं।
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भारत में महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति: चिंता और समाधान

महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर चिंता

एंग्जायटी Image Credit source: Deepak Sethi/E+/Getty Images

आजकल मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, और महिलाएं भी इससे प्रभावित हो रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या करने वाली महिलाओं में 36.6% की संख्या है, जिनमें सबसे अधिक 18 से 39 वर्ष की आयु की महिलाएं शामिल हैं। इसके बावजूद, समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति फैले डर और कलंक के कारण महिलाएं उपचार से दूर रहती हैं। एमपॉवर द्वारा किए गए एक सर्वे में यह सामने आया है कि महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर खुलकर चर्चा करने से कतराती हैं, ताकि उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इसके अलावा, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और वर्क-लाइफ बैलेंस की चुनौतियां भी महिलाओं की मानसिक सेहत को प्रभावित कर रही हैं।


महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर रिपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट की एमपावर संस्था ने 'Unveiling the Silent Struggle' नामक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट देशभर की 13 लाख महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें कॉलेज की छात्राएं, कॉरपोरेट पेशेवर, ग्रामीण महिलाएं और सेना में कार्यरत महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के खराब होने के कई कारण बताए गए हैं।


महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख कारण

  • 50% महिलाएं वर्क-लाइफ बैलेंस, आर्थिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण तनाव में हैं।
    47% महिलाओं को नींद न आने की समस्या है, विशेषकर 18-35 आयु वर्ग की महिलाएं।
    41% महिलाएं भावनात्मक रूप से अकेलापन महसूस करती हैं।
    38% छात्राएं और कामकाजी महिलाएं करियर विकास और वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंतित रहती हैं।


कॉरपोरेट क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति

42% महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षण पाए गए हैं।
80% महिलाएं मातृत्व अवकाश और करियर विकास में भेदभाव का सामना करती हैं।
90% महिलाओं का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उनके कार्य प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं।


ग्रामीण महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियां

महाराष्ट्र सरकार के साथ प्रोजेक्ट संवेदना के तहत 12.8 लाख ग्रामीण महिलाओं पर किए गए सर्वे में यह पाया गया कि वित्तीय अस्थिरता, सामाजिक कलंक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण वे गंभीर अवसाद और चिंता से जूझ रही हैं।


18-35 वर्ष की महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य प्रवृत्तियां

मुंबई में अकादमिक तनाव और कॉरपोरेट बर्नआउट की समस्या अधिक है।
दिल्ली में सुरक्षा चिंताओं और उत्पीड़न के कारण PTSD और एंग्जायटी की समस्या बढ़ रही है।
कोलकाता में मजबूत सामाजिक नेटवर्क होने के बावजूद महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से दूर हैं।


उपचार के उपाय

एमपॉवर सेंटर के दिल्ली प्रमुख और मनोचिकित्सक डॉ. अंकित गौतम ने बताया कि महिलाओं को अवसाद, चिंता, अनिद्रा, व्यक्तित्व विकार और संबंधों की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सीय विकारों का उपचार दवाओं, मनोचिकित्सा या दोनों के संयोजन से किया जा सकता है, जो व्यक्ति की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। तनाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के सबसे सामान्य ट्रिगर्स में से एक है।


तनाव प्रबंधन के उपाय

हर क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं आज तनाव का शिकार हो रही हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। महिलाओं को योग, नियमित शारीरिक गतिविधि, ध्यान, संतुलित आहार, गुणवत्तापूर्ण नींद और मजबूत सामाजिक समर्थन की आवश्यकता है। इसके अलावा, जो महिलाएं तनाव, डिप्रेशन और एंग्जायटी से जूझ रही हैं, उन्हें समय-समय पर मनोचिकित्सक से सलाह लेने की आवश्यकता है।