भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए नई परियोजनाओं का मूल्यांकन
गुरुवार को नेटवर्क योजना समूह की बैठक में भारत में बुनियादी ढांचे की नई परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाने पर जोर दिया गया। तीन प्रमुख परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया, जिनमें सड़क और रेल परियोजनाएँ शामिल हैं। इन पहलों से यात्रा समय में कमी और सामाजिक-आर्थिक लाभ की उम्मीद है। जानें इन परियोजनाओं के बारे में विस्तार से।
| Nov 20, 2025, 19:44 IST
सड़क और रेल परियोजनाओं का मूल्यांकन
गुरुवार को नेटवर्क योजना समूह (एनपीजी) की 102वीं बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें सड़क, परिवहन और राजमार्गों की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया। इस बैठक में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (पीएमजीएस एनएमपी) के तहत मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाने पर जोर दिया गया। एनपीजी ने तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं का मूल्यांकन किया, जिनमें एक सड़क परियोजना और दो रेल परियोजनाएँ शामिल थीं, जो एकीकृत मल्टीमॉडल बुनियादी ढाँचे और अंतिम-मील कनेक्टिविटी के लिए पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों के अनुरूप थीं।
इन पहलों से लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार, यात्रा समय में कमी और परियोजना के जलग्रहण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। इन परियोजनाओं का विस्तृत मूल्यांकन और अपेक्षित प्रभाव नीचे प्रस्तुत किया गया है।
परियोजनाओं का संक्षिप्त विवरण
रेल मंत्रालय (MoR) द्वारा पुनारख से किउल स्टेशन (बिहार) के बीच तीसरी और चौथी रेलवे लाइन का निर्माण प्रस्तावित किया गया है। यह लगभग 49.57 किलोमीटर लंबी लाइन पटना और लखीसराय जिलों से होकर गुजरेगी, जिससे राज्य के प्रमुख औद्योगिक और कृषि गलियारों में रेल अवसंरचना को मजबूती मिलेगी।
यह कॉरिडोर रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट, एसीसी सीमेंट, एनटीपीसी बरौनी, और अन्य प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठानों की रेल क्षमता और लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाएगा। इससे फतुहा, पटना-पाटलिपुत्र, मोकामा, बड़हिया और लखीसराय में छोटे और मध्यम उद्योगों को भी लाभ होगा।
इस परियोजना से बिहार और अन्य क्षेत्रों में तेज़, सुरक्षित और निर्बाध रेल संपर्क स्थापित होगा, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास को गति मिलेगी। विशेष रूप से पटना, फतुहा, बख्तियारपुर और मोकामा जैसे क्षेत्रीय केंद्रों को लाभ होगा, जिससे यात्री और माल ढुलाई में सुधार होगा। इसके अलावा, यह रेलवे लाइन कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों तक पहुंच में सुधार करेगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
सिलघाट (सिलघाट टाउन) से देकारगांव (तेजपुर) के बीच नई बीजी लाइन का निर्माण भी प्रस्तावित है, जो लगभग 27.50 किलोमीटर लंबी होगी। यह लाइन राष्ट्रीय राजमार्ग NH-15 और NH-715 के निकट स्थित है, जिससे रेल और सड़क परिवहन के बीच तालमेल बढ़ेगा।
इस नई लाइन का उद्देश्य मौजूदा राजमार्ग और रेलवे नेटवर्क के बीच एक पूरक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क और मल्टीमॉडल परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। यह यात्रियों और माल की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा, जिससे क्षेत्र में परिवहन दक्षता में सुधार होगा।
दीर्घावधि में, इस परियोजना से असम और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है, साथ ही यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन करेगी।
सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने महाराष्ट्र के सोलापुर में NH-65 पर ओल्ड पुणे नाका से बोरमणि नाका तक चार लेन वाले एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण का प्रस्ताव भी रखा है, जो लगभग 9.66 किलोमीटर लंबा होगा।
