भारत में बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों की धरपकड़ का अभियान तेज

बांग्लादेशियों की वापसी का अभियान
भारत में बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों की धरपकड़ और उन्हें उनके देश वापस भेजने का अभियान तेजी से चल रहा है। 7 मई को शुरू हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत अब तक 2000 से अधिक बांग्लादेशी प्रवासियों को भारतीय अधिकारियों ने सीमा पार भेज दिया है। यह कार्रवाई एक व्यापक दस्तावेज़ सत्यापन अभियान के बाद शुरू की गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इतनी ही संख्या में प्रवासी स्वयं भारत-बांग्लादेश सीमा पर लौटकर स्वेच्छा से पार जाने के लिए पहुंच गए हैं, क्योंकि इस सख्त अभियान से डर का माहौल बन गया है। यह सरकारी कार्रवाई त्रिपुरा, मेघालय और असम की सीमाओं पर चल रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी और सभी राज्यों में आर्थिक गतिविधियों के आधार पर अवैध प्रवासियों की पहचान की जा रही है। अप्रैल में पहलगाम में हुए हमले के बाद इस दिशा में एक केंद्रित प्रयास शुरू हुआ था, और 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद इसमें तेजी आई है। गुजरात इस अभियान की शुरुआत करने वाला पहला राज्य था, इसके बाद दिल्ली और हरियाणा ने भी बड़ी संख्या में प्रवासियों को वापस भेजा है।
वापसी की प्रक्रिया
बताया जा रहा है कि इन अवैध प्रवासियों को वायुसेना के विमानों द्वारा विभिन्न स्थानों से सीमा के निकट लाया जा रहा है और सीमा सुरक्षा बल (BSF) को सौंपा जा रहा है। उन्हें अस्थायी शिविरों में रखा जाता है, जहां उन्हें भोजन और आवश्यकता पड़ने पर कुछ बांग्लादेशी मुद्रा भी दी जाती है। कुछ घंटों बाद उन्हें उनके देश में 'वापस धकेल' दिया जाता है।
एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि यह धारणा गलत है कि इन राज्यों को इसलिए चुना गया क्योंकि वे भाजपा शासित हैं। उन्होंने बताया कि मेघालय में भाजपा नहीं है, बल्कि इन राज्यों को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां से वापस भेजना अपेक्षाकृत आसान है।
स्वेच्छा से लौटने वाले प्रवासी
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 2000 बांग्लादेशी प्रवासी स्वयं सीमा पर आ गए हैं ताकि भारत छोड़ सकें। अधिकारियों का कहना है कि 'मीडिया में छपी खबरों से डरकर कई अवैध प्रवासी स्वेच्छा से देश छोड़ रहे हैं, ताकि गिरफ्तारी से बच सकें।' अब तक अभियान सुचारू रूप से चल रहा है और बांग्लादेश सीमा सुरक्षा बल (BGB) भारतीय अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहा है।
अधिकांश पकड़े गए प्रवासी निर्वासन का विरोध नहीं कर रहे हैं। जो दशकों पहले आए थे, उनके अलावा बाकी जाने के लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं। वे सीमा पर पहुंचते ही अपने परिजनों को बांग्लादेश में फोन करते हैं, जो उन्हें लेने आ जाते हैं।
भविष्य की योजना
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि अभी वापस जा रहे लोग सामान्य हालात होते ही फिर लौट आते हैं। इसी कारण सरकार अब इन सभी लोगों का बायोमेट्रिक डेटा संग्रह कर रही है और उसे बड़े इमिग्रेशन डेटाबेस से जोड़ने की कोशिश कर रही है।