भारत में फांसी की सज़ा: जल्लाद की भूमिका और नियम

इस लेख में हम भारत में फांसी की सज़ा के नियमों और जल्लाद की भूमिका पर चर्चा करेंगे। जानें कि फांसी देने से पहले जल्लाद क्या कहता है, भारत में जल्लादों की संख्या और उनकी सैलरी क्या है, और फंदा कहाँ बनाया जाता है। यह जानकारी आपको फांसी की सज़ा की प्रक्रिया को समझने में मदद करेगी।
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भारत में फांसी की सज़ा: जल्लाद की भूमिका और नियम

भारत की न्याय प्रणाली और फांसी की सज़ा

भारत में फांसी की सज़ा: जल्लाद की भूमिका और नियम


भारत को सदियों से एक महान राष्ट्र के रूप में जाना जाता है, जहाँ विभिन्न नियम और कानून बनाए गए हैं, जो स्वतंत्रता का प्रतीक हैं। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह इन कानूनों का पालन करे। यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे कानून के अनुसार सख्त सजा दी जाती है। जब कोई व्यक्ति गंभीर अपराध करता है, तो उसे भी सजा देने के लिए कानून को नियमों का पालन करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, हत्या करने वाले को फांसी की सजा दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फांसी के लिए भी भारत सरकार ने विशेष नियम बनाए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है?


फांसी की प्रक्रिया और जल्लाद की भूमिका

यह सच है कि फांसी के समय कुछ विशेष नियम होते हैं, जैसे फांसी का फंदा, समय और प्रक्रिया। जब किसी अपराधी को फांसी दी जाती है, तो जल्लाद उसे फांसी देने से पहले उसके कान में कुछ कहता है। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जल्लाद फांसी से पहले अपराधी से माफी मांगता है और कहता है, "मुझे माफ कर दो भाई, मैं मजबूर हूँ"। यदि अपराधी हिंदू है, तो जल्लाद उसे "राम राम" कहता है, और यदि वह मुस्लिम है, तो उसे अंतिम "सलाम" देता है। इसके बाद वह कहता है कि "मैं सरकार के आदेश का पालन कर रहा हूँ" और फिर फंदा खींच देता है।


भारत में जल्लादों की संख्या और उनकी सैलरी

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में फांसी की सजा देने के लिए केवल दो जल्लाद हैं। इन्हें सरकार द्वारा वेतन भी दिया जाता है। किसी को फांसी देना एक कठिन कार्य है और इसके लिए विशेष साहस की आवश्यकता होती है। सामान्य अपराधियों को फांसी देने के लिए सरकार इन जल्लादों को 3000 रुपये देती है, जबकि आतंकवादियों को फांसी देने के लिए यह राशि बढ़ाई जाती है। उदाहरण के लिए, इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने वाले जल्लाद को 25000 रुपये का भुगतान किया गया था।


फांसी का फंदा कहाँ बनता है?

भारत में फांसी की सजा पाने वाले सभी अपराधियों के लिए फंदा बिहार की बक्सर जेल में तैयार किया जाता है। यहाँ के लोग फंदा बनाने में विशेषज्ञ माने जाते हैं। फंदे की मोटाई के लिए भी मानक निर्धारित हैं, जिसमें रस्सी डेढ़ इंच से अधिक मोटी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, फंदे की लागत भी काफी कम होती है; दस साल पहले यह केवल 182 रुपये में उपलब्ध कराया गया था।