भारत में पाकिस्तान के जासूसों का बढ़ता नेटवर्क: सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती
भारत में पाकिस्तान के जासूसों का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतियाँ बढ़ रही हैं। हाल में हुई गिरफ्तारियों ने इस समस्या को उजागर किया है। जानिए कैसे जासूसों का यह जाल देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है और सरकार को क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।
Jun 3, 2025, 15:01 IST
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जासूसों का बढ़ता खतरा
हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध फिल्म शोले में एक संवाद है- हमारे जासूस जेल के हर कोने में हैं। इसी तर्ज पर, यह स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान के जासूस भारत के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं। समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और ऑनलाइन समाचार साइटों पर जासूसों की गिरफ्तारी की खबरें लगातार आ रही हैं। यह दर्शाता है कि दुश्मन केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि हमारे आस-पास भी मौजूद है। जब पकड़े जाते हैं, तो कुछ लोग खुद को हनी ट्रैप का शिकार बताते हैं, जबकि अन्य कहते हैं कि वे मोहपाश में बंध गए थे। कुछ जासूस पैसे के लिए काम कर रहे हैं, जबकि अन्य भारत से नफरत के चलते दुश्मन का साथ दे रहे हैं। यह चिंताजनक है कि सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों में भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले लोग पकड़े जा रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियाँ
जासूसों के खिलाफ चल रहे अभियान के बीच एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि पाकिस्तान में लंबे समय तक रहने और वहां प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले जासूसों पर हमारी सुरक्षा एजेंसियों की नजर पहले क्यों नहीं पड़ी? इसके अलावा, पहले पकड़े गए जासूसों को क्या सजा मिली? जैसे बारिश में कुकुरमुत्ते उग आते हैं, वैसे ही जासूसी नेटवर्क भी देशभर में फैल चुका है।
हालिया गिरफ्तारियाँ
हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद से जासूसों की धरपकड़ की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। एनआईए ने हाल ही में पाकिस्तान से जुड़े जासूसी मामलों में आठ राज्यों में छापेमारी की। अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीएफ के एक सहायक उप निरीक्षक मोती राम जाट की गिरफ्तारी के बाद यह कार्रवाई की गई। दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल में संदिग्धों के ठिकानों पर छापे मारे गए।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकी संबंधों के चलते बर्खास्त किया है। राजस्थान में शकूर खान को जासूसी के संदेह में हिरासत में लिया गया है। दिल्ली पुलिस ने एक व्यक्ति को पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों को भारतीय सिम कार्ड मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा
पंजाब में एक व्यक्ति को सेना की तैनाती की संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में एक रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी के अभियंता को भी जासूसी के आरोप में पकड़ा गया है। असम में भी ऐसे मामलों में 82 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।
सख्त कानून की आवश्यकता
जासूसों का बढ़ता नेटवर्क यह दर्शाता है कि जब तक सख्त सजा नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसे कार्य करने वालों का हौसला बढ़ता रहेगा। यह सवाल उठता है कि कितने जासूसों को सजा मिली है? मोदी सरकार को चाहिए कि जासूसी करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए।