भारत में नए इमिग्रेशन कानून से विदेशी प्रवासियों पर सख्ती
भारत सरकार ने इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट 2025 लागू किया है, जिसमें विदेशी प्रवासियों के लिए कई सख्त नियम बनाए गए हैं। यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जिसमें अवैध प्रवासियों को रोकने और उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के उपाय शामिल हैं। नए नियमों के तहत, विदेशियों को बायोमेट्रिक जानकारी प्रदान करनी होगी और अवैध प्रवासियों को हिरासत में रखा जाएगा। इस कानून का उद्देश्य भारत की सुरक्षा को मजबूत करना है, लेकिन इसके साथ ही यह चिंता भी है कि कड़े नियमों का असर भारत की सॉफ्ट पावर पर न पड़े।
Sep 2, 2025, 17:59 IST
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भारत सरकार का नया इमिग्रेशन कानून
भारत सरकार ने हाल ही में इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट 2025 लागू किया है, जिसमें विदेशियों के प्रवेश और ठहराव के लिए कई कड़े नियम बनाए गए हैं। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था और संवेदनशील सीमाई क्षेत्रों की सुरक्षा से संबंधित है। इस अधिनियम के तहत, भारत अब अपनी सुरक्षा नीतियों में किसी भी प्रकार का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आधिकारिक आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी विदेशी पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, जासूसी, बलात्कार, हत्या, आतंकवाद, बाल तस्करी या किसी प्रतिबंधित संगठन से संबंध रखने का आरोप सिद्ध होता है, तो उसे भारत में प्रवेश या ठहरने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, नए इमिग्रेशन कानून के तहत सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को विदेशियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए निरुद्ध केंद्र या हिरासत शिविर स्थापित करने होंगे, जब तक कि उन्हें निर्वासित नहीं किया जाता। जो भी विदेशी किसी भी श्रेणी के वीजा के लिए आवेदन करेगा, उसे अपनी बायोमेट्रिक जानकारी प्रदान करनी होगी, और यह प्रक्रिया वीजा या पंजीकरण जारी करने से पहले पूरी की जाएगी। यदि अवैध प्रवासी पकड़े जाते हैं, तो उन्हें निर्वासन की प्रक्रिया पूरी होने तक होल्डिंग सेंटर में रखा जाएगा।
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि सीमा सुरक्षा बल और तटरक्षक बल अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए कदम उठाएंगे। यदि किसी विदेशी पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, जासूसी, बलात्कार, मानवता के खिलाफ अपराध, आतंकवादी गतिविधियों का आरोप है, तो उसे भारत में प्रवेश से मना किया जा सकता है।
आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि मादक पदार्थों की तस्करी, बाल तस्करी, नकली दस्तावेजों के उपयोग, साइबर अपराध और बाल दुर्व्यवहार जैसे मामलों में संलिप्त पाए जाने पर भी विदेशी व्यक्तियों को भारत में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, किसी भी विदेशी को बिना नागरिक प्राधिकरण की अनुमति के निजी क्षेत्र में रोजगार स्वीकार करने की अनुमति नहीं होगी।
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी विदेशी व्यक्ति बिना लिखित अनुमति के किसी फिल्म, वृत्तचित्र, रियलिटी शो या अन्य सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए सामग्री का निर्माण नहीं कर सकता। पर्वतारोहण अभियानों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, और विदेशी नागरिकों को पर्वत शिखरों पर चढ़ाई के लिए केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी।
इसके अलावा, प्रत्येक विदेशी को किसी संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश के लिए परमिट प्राप्त करना अनिवार्य होगा। अफगानिस्तान, चीन या पाकिस्तान के मूल के व्यक्तियों को ऐसे क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। भारत के प्रतिबंधित क्षेत्रों में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड और सिक्किम शामिल हैं।
यह नया कानून दर्शाता है कि भारत अब विदेशियों की गतिविधियों के प्रति शून्य-सहनशीलता नीति अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है। बढ़ते आतंकी नेटवर्क, साइबर अपराध और अवैध आव्रजन जैसे खतरों के चलते सरकार को अधिक सतर्क रहना पड़ रहा है। हालांकि, यह चिंता भी है कि कड़े नियमों का असर भारत की सॉफ्ट पावर, जैसे शिक्षा और पर्यटन पर न पड़े। सरकार को यह संतुलन बनाए रखना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा भी सुनिश्चित हो और भारत की खुली छवि भी बनी रहे।