भारत में दवा गुणवत्ता के लिए नया कानून लाने की तैयारी

केंद्र सरकार का नया कानून
चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार एक नया कानून लाने की योजना बना रही है। यह कानून दवाओं की गुणवत्ता जांच को सख्त बनाने के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के नियमन को भी मजबूत करेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामकों द्वारा भारतीय दवा निर्माताओं की गुणवत्ता में कमी की शिकायतों के मद्देनजर यह कदम उठाया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय बैठक में, भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ. राजीव रघुवंशी ने 'औषधि, चिकित्सा उपकरण और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 2025' का मसौदा प्रस्तुत किया। इस विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश करने की योजना है।
बैठक की प्रमुख बातें
इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने की। बैठक में डीसीजीआई और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून की रूपरेखा साझा की। यह बैठक मध्य प्रदेश में दूषित कफ सिरप से हुई बच्चों की मौतों के कुछ दिन बाद आयोजित की गई। सूत्रों के अनुसार, यदि यह कानून पारित होता है, तो सीडीएससीओ को घरेलू और निर्यात दोनों के लिए दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों की गुणवत्ता की सख्त निगरानी का अधिकार मिलेगा।
नए कानून के प्रावधान
नए कानून के तहत, सीडीएससीओ को नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने का अधिकार दिया जाएगा। इसमें लाइसेंसिंग प्रक्रिया को डिजिटल बनाने, राज्य स्तर पर नियामकों के बीच समन्वय बढ़ाने और परीक्षण प्रयोगशालाओं की क्षमताओं को उन्नत करने के उपाय शामिल होंगे। यह कानून 1940 के औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का स्थान लेगा और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य निर्माण से लेकर वितरण तक हर स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
गुणवत्ता की चिंता
नकली और घटिया दवाओं की समस्या अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। सीडीएससीओ की 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 5,500 दवा नमूनों में से 3.2 प्रतिशत घटिया या नकली पाए गए। पिछले दो वर्षों में 40 से अधिक दवा इकाइयों पर कार्रवाई की गई है।