भारत में चीन के नए वायरस के कारण अलर्ट: स्वास्थ्य विभाग की तैयारी

भारत में स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता
नई दिल्ली। चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के बढ़ते मामलों के चलते भारत सरकार ने सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने श्वसन संबंधी और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों की निगरानी शुरू कर दी है। विभाग अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के साथ संपर्क में है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने कहा है कि वे स्थिति पर ध्यान देंगे और आवश्यक जानकारी के आधार पर अपडेट प्रदान करेंगे।
निगरानी और रोकथाम की आवश्यकता
डॉ. अर्जुन डैंग, जो डॉ. डैंग्स लैब के सीईओ हैं, ने बताया कि चीन में एचएमपीवी के प्रकोप के बाद इसके प्रसार को रोकने और निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है। घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में यह वायरस अधिक खतरनाक हो सकता है।
उन्होंने कहा कि उनके लैब में फ्लू के मौसम के दौरान एचएमपीवी के मामलों की नियमित रिपोर्ट की गई है, विशेषकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों में। चीन में इसके फैलने से वायरस की निगरानी और प्रारंभिक जांच की आवश्यकता स्पष्ट होती है।
एचएमपीवी के लक्षण और प्रभाव
डॉ. डांग के अनुसार, एचएमपीवी के लक्षण अन्य श्वसन वायरसों के समान होते हैं। यदि इसके प्रसार को तुरंत नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव डाल सकता है। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, नाक बंद होना, सांस लेने में कठिनाई और घबराहट शामिल हैं। गंभीर मामलों में ब्रोंकियोलाइटिस या निमोनिया भी हो सकता है, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों में।
अभी तक कोई विशिष्ट इलाज नहीं
डॉ. अर्जुन डांग ने बताया कि एचएमपीवी के लिए कोई विशेष एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। रोकथाम ही इसका सबसे प्रभावी उपाय है। वर्तमान में, इस वायरस का निदान पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) परीक्षण द्वारा किया जाता है। गंभीर मामलों में बुखार को नियंत्रित करने और ऑक्सीजन थेरपी के माध्यम से उपचार किया जाता है।
स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय
डॉ. अर्जुन डांग ने सुझाव दिया कि कुछ सरल आदतों को अपनाकर वायरस के जोखिम को कम किया जा सकता है। बार-बार हाथ धोना, खांसते और छींकते समय मुंह को ढंकना, और संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उन्होंने सरकारी अधिकारियों से जन जागरूकता अभियान चलाने की अपील की।