भारत में खेलों के लिए नया युग: राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का महत्व

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का परिचय
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू का मानना है कि सोमवार से प्रारंभ हो रहे मानसून सत्र में पेश होने वाला राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक भारत में खेलों के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा।
रिजिजू, जो 2019 से 2021 तक केंद्रीय खेल मंत्री रहे, ने कहा कि वह इस विधेयक के शीघ्र कानून बनने की उम्मीद कर रहे हैं।
विधेयक का उद्देश्य और महत्व
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) में सुशासन के लिए एक ठोस ढांचा तैयार करना है।
इसमें एक नियामक बोर्ड के गठन का प्रावधान है, जो एनएसएफ को मान्यता देने और वित्त पोषण के निर्णय लेने का अधिकार रखेगा।
नियामक बोर्ड की भूमिका
नियामक बोर्ड उच्चतम प्रशासनिक, वित्तीय और नैतिक मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा।
यह विधेयक नैतिक आयोग और विवाद समाधान आयोग के गठन का भी प्रस्ताव करता है, जिससे खिलाड़ियों और प्रशासकों के बीच टकराव की स्थिति को कम किया जा सके।
आईओए का विरोध
हालांकि, आईओए ने इस विधेयक का विरोध किया है, यह मानते हुए कि नियामक बोर्ड उसकी स्थिति को कमजोर करेगा।
आईओए की अध्यक्ष पी टी उषा ने चेतावनी दी है कि सरकारी हस्तक्षेप के कारण अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) भारत को निलंबित कर सकती है।
भविष्य की संभावनाएँ
रिजिजू ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि संसद में यह विधेयक आसानी से पारित होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि खेलो भारत नीति और डोपिंग रोधी संशोधन विधेयक को एक साथ लाया जाएगा, जिससे नई खेल संस्कृति का विकास होगा।
डोपिंग रोधी अधिनियम की स्थिति
डोपिंग रोधी अधिनियम 2022 में पारित किया गया था, लेकिन विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं।
इसलिए, संशोधित विधेयक में वाडा के अनुरूप प्रावधानों को हटाया गया है।