भारत में एचएमपीवी संक्रमण: लक्षण, परीक्षण और उपचार की जानकारी

एचएमपीवी मामलों पर केंद्र सरकार की पहल
भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के मामलों को लेकर केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। राज्यों को इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। केंद्र ने राज्यों को सलाह दी है कि वे इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों और गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी रोगों की निगरानी बढ़ाएं और एचएमपीवी के प्रति जागरूकता फैलाएं।
एचएमपीवी संक्रमण के लक्षण
भारत में अब तक 7 से 10 एचएमपीवी के मामले सामने आए हैं। यह वायरस विशेष रूप से शिशुओं और वृद्ध व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है, और शिशुओं में इसके लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं।
एचएमपीवी क्या है?
एचएमपीवी एक संक्रामक श्वसन वायरस है जो किसी भी आयु वर्ग के लोगों में श्वसन संबंधी संक्रमण का कारण बन सकता है। राज्यों को सलाह दी गई है कि वे लोगों को हाथ धोने, गंदे हाथों से चेहरे को छूने से बचने, और खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकने के महत्व के बारे में जागरूक करें।
एचएमपीवी परीक्षण और लागत
एचएमपीवी के परीक्षण के लिए बायोफायर पैनल जैसी उन्नत तकनीकों की आवश्यकता होती है, जो एक ही परीक्षण में कई रोगजनकों की पहचान कर सकती है। भारत में कई निजी प्रयोगशालाएँ इस परीक्षण की पेशकश कर रही हैं, और इसकी लागत 3,000 रुपये से 8,000 रुपये तक हो सकती है।
सर्दियों में एचएमपीवी मामलों में वृद्धि
सर्दियों के महीनों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी जाती है, और देश इस संभावित वृद्धि के लिए तैयार है। आईसीएमआर-वीआरडीएल प्रयोगशालाओं में पर्याप्त नैदानिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
एचएमपीवी का उपचार
एचएमपीवी के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं। हल्के लक्षणों वाले लोग घर पर आराम कर सकते हैं, जबकि गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। सांस लेने में सहायता के लिए ऑक्सीजन प्रदान की जा सकती है।