भारत में आवारा कुत्तों का आतंक: 37 लाख काटने की घटनाएं और 54 मौतें

भारत में आवारा कुत्तों के हमले की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है। 2024 में 37 लाख से अधिक कुत्तों के काटने की घटनाएं और 54 मौतें हुईं। इस समस्या पर चर्चा करते हुए, विशेषज्ञों और अधिकारियों ने समाधान के लिए सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया है। जानें इस गंभीर मुद्दे के बारे में और इसके संभावित समाधान।
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भारत में आवारा कुत्तों का आतंक: 37 लाख काटने की घटनाएं और 54 मौतें

आवारा कुत्तों का आतंक: एक गंभीर समस्या

भारत में आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जैसे कि हाल ही में तमिलनाडु के मदुरै में एक आठ वर्षीय बच्चे और उसके पिता पर एक आवारा कुत्ते ने हमला किया। यह घटना उन बच्चों और बुजुर्गों के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है जो इन हमलों के शिकार होते हैं।


हालांकि मदुरै के बच्चे को चोटें आईं, लेकिन कई अन्य लोग इससे अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में आवारा कुत्तों के हमलों के कारण 54 लोगों की मौत हुई।


मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने बताया कि देशभर में 37.17 लाख कुत्तों के काटने की घटनाएं और 54 संदिग्ध मानव रैबीज मौतें दर्ज की गईं।


बघेल ने कहा कि नगरपालिका का यह दायित्व है कि वे आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करें और इसके लिए वे एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) कार्यक्रम को लागू कर रहे हैं।


उन्होंने बताया कि उनकी मंत्रालय ने नवंबर 2024 में राज्यों को एबीसी कार्यक्रम को लागू करने के लिए सलाह जारी की थी, ताकि विशेष रूप से छोटे बच्चों को आवारा कुत्तों के हमलों से बचाया जा सके।


सुप्रीम कोर्ट की दखल: कानूनी कार्रवाई और फीडिंग दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में एक छह वर्षीय बच्ची की मौत के बाद इस मामले पर संज्ञान लिया। बच्ची को एक आवारा कुत्ते ने काटा था और वह रैबीज से पीड़ित हो गई। कोर्ट ने कहा कि यह घटना आवारा कुत्तों के खतरे को नियंत्रित करने में एक बड़ी विफलता को दर्शाती है।


कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना देने पर रोक लगाते हुए कहा कि इसे घर पर ही किया जाना चाहिए।


आवारा कुत्तों के व्यवहार को समझते हुए

पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक ने बताया कि आवारा कुत्तों के साथ मानव संघर्ष बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आवारा कुत्ते अब इंसानों के साथ रहते हैं, लेकिन उनकी जंगली प्रवृत्तियाँ बनी रहती हैं।


कुत्तों की आक्रामकता अक्सर उनके क्षेत्र की रक्षा से जुड़ी होती है।


आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई

नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक आरके शर्मा ने बताया कि आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई एबीसी योजना के तहत की जा रही है।


हम रोजाना 15-20 कुत्तों को नसबंदी और रैबीज के खिलाफ टीकाकरण के लिए पकड़ते हैं।


पीड़ितों की कहानियाँ

दिल्ली-एनसीआर की एक छात्रा ने बताया कि कैसे एक आवारा कुत्ते ने उसे कॉलेज जाते समय काट लिया।


गुरुग्राम की एक महिला ने बताया कि एक परिचित आवारा कुत्ते ने उसे काट लिया, जिससे उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।


रैबीज का खतरा

नोएडा के एक कुत्ता आश्रय के मालिक ने कहा कि रैबीज ही एकमात्र ऐसा संक्रमण है जो इंसानों के लिए खतरा बन सकता है।


उन्होंने बताया कि रैबीज से बचने के लिए बच्चों को टीका लगवाना चाहिए।


भारत में आवारा कुत्तों के हमले

मध्य प्रदेश के रीवा में एक 14 वर्षीय लड़के की आवारा कुत्ते के काटने से मौत हो गई।


गाजियाबाद में एक तीन वर्षीय बच्चे की भी इसी कारण से मौत हुई।


इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आवारा कुत्तों का खतरा बढ़ता जा रहा है और इसके लिए सामुदायिक समाधान की आवश्यकता है।