भारत-पाकिस्तान विभाजन: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति

भारत और पाकिस्तान का विभाजन 1947 में हुआ था, जिसने दोनों देशों के भविष्य को प्रभावित किया। इस लेख में हम विभाजन के ऐतिहासिक कारणों, प्रमुख व्यक्तियों की भूमिकाओं और वर्तमान में दोनों देशों की स्थिति पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे विभाजन ने भारत को समृद्धि की ओर बढ़ने में मदद की, जबकि पाकिस्तान आतंकवाद का अड्डा बन गया।
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भारत-पाकिस्तान विभाजन: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति

आजादी का जश्न और विभाजन की त्रासदी

फैज अहमद फैज ने अपनी एक कविता में आजादी की सुबह का जिक्र किया था, लेकिन यह सुबह भारत के लिए जश्न के साथ-साथ विभाजन की भयानक यादें भी लेकर आई। जब आप बंटवारे के बारे में बात करते हैं, तो आपको कई दिलचस्प कहानियाँ सुनने को मिलती हैं। इनमें से एक यह है कि पंडित नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और एडविना माउंटबेटन लंदन के हैरिस कॉलेज में एक साथ पढ़े थे। कहा जाता है कि एडविना ने अपने पति लुईस माउंटबेटन से कहा कि भारत का विभाजन कर दिया जाए ताकि नेहरू और जिन्ना दोनों प्रधानमंत्री बन सकें। हालांकि, यह तथ्यात्मक रूप से गलत है, क्योंकि जिन्ना ने अपनी लॉ की पढ़ाई 1892 में की थी, जबकि नेहरू उस समय केवल तीन साल के थे। इस प्रकार, हमें वास्तविकता की ओर लौटना होगा।


बंटवारे की तारीख: 16 अगस्त 1946

16 अगस्त 1946 की तारीख ने बंटवारे की प्रक्रिया को एक नई दिशा दी। मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में एक धड़े ने भारत को विभाजित करने की मांग की। उनकी मांग थी कि एक अलग राष्ट्र, पाकिस्तान, केवल मुसलमानों के लिए बनाया जाए। इस दौरान, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नारा 'एक देश, एक विधान' पूरे देश में गूंज रहा था। लेकिन मुस्लिम लीग की डायरेक्ट एक्शन डे ने पूरे देश को हिंसा की आग में झोंक दिया।


जिन्ना की महत्वाकांक्षाएँ

2 जून 1947 को, जिन्ना ने एक बैठक में स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तान के गवर्नर जनरल बनना चाहते थे। यह स्पष्ट था कि जिन्ना ने पाकिस्तान बनाने की योजना बना ली थी। गांधी जी ने विभाजन का विरोध किया, लेकिन मुस्लिम लीग ने अपने एजेंडे को मजबूती से थाम रखा।


क्या गांधी और नेहरू भी जिम्मेदार थे?

स्टेनली वॉलपर्ट की किताब 'जिन्ना ऑफ़ पाकिस्तान' के अनुसार, गांधी ने माउंटबेटन से जिन्ना को सरकार बनाने का पहला मौका देने की बात की थी। हालांकि, यह प्रस्ताव जिन्ना को कभी नहीं बताया गया। नेहरू ने इस प्रस्ताव को नकार दिया, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई।


78 साल बाद भी विभाजन का प्रभाव

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली, लेकिन इसके साथ ही विभाजन की कीमत भी चुकानी पड़ी। पाकिस्तान आज भी दो राष्ट्र सिद्धांत पर अटका हुआ है। जबकि भारत समृद्धि की नई ऊँचाइयों को छू रहा है, पाकिस्तान आतंकवाद का अड्डा बन चुका है।


भारत और पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति

भारत आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकट में है। भारत का जीडीपी 3.88 ट्रिलियन डॉलर है, जो पाकिस्तान के 0.37 ट्रिलियन डॉलर से 10 गुना अधिक है।