भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: मोदी सरकार की चुनौतियाँ

अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ
भारत के उत्पादों पर अमेरिका ने 50% टैरिफ लागू कर दिया है। यह निर्णय डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और भारत के बीच व्यापार वार्ता में गतिरोध के चलते लिया गया है। सरकार इस दंडात्मक टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है। यह टैरिफ अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले 48.2 अरब डॉलर के माल पर लागू होगा। नए टैरिफ बुधवार सुबह 9.30 बजे से प्रभावी हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि वे किसी भी दबाव में समझौता नहीं करेंगे, जबकि कांग्रेस पार्टी लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रही है।
कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला
कांग्रेस ने अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के प्रभावी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अमेरिका के साथ मेगा साझेदारी का फार्मूला देश के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस अमेरिकी शुल्क का सबसे अधिक प्रभाव कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा, समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग क्षेत्रों पर पड़ेगा।
ट्रंप का दोहरा शुल्क और मोदी का मेगा फार्मूला
रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि ट्रंप का दोहरा शुल्क लागू हो गया है, जो निश्चित रूप से अमेरिका में भारत के श्रम-प्रधान निर्यात को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटों में, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने एच1बी वीजा प्रणाली के खिलाफ भी बात की है, जिसका सबसे बड़ा लाभ भारतीय आईटी पेशेवरों को मिला है। रमेश ने यह भी कहा कि यह राष्ट्रपति ट्रंप के मेका अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) के प्रमुख मांगों में से एक है।
प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल फरवरी में अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के मेका अमेरिका ग्रेट अगेन के तर्ज पर मेक इंडिया ग्रेट अगेन का मंत्र दिया था। उन्होंने कहा था कि ये दोनों दृष्टिकोण मिलकर समृद्धि के लिए मेगा साझेदारी बनाते हैं और द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाते हैं।