भारत ने पाकिस्तान को बाढ़ चेतावनी जारी की, नदियों में बढ़ सकता है जलस्तर
भारत ने पाकिस्तान को बाढ़ की चेतावनी जारी की है, जिसमें रावी, चिनाब और सतलुज नदियों में जलस्तर बढ़ने की संभावना का उल्लेख किया गया है। इस चेतावनी का उद्देश्य सीमा पार जान-माल के नुकसान को रोकना है। तवी नदी की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, और भारत ने हाल ही में भारी बारिश के कारण बांधों के द्वार खोलने की आवश्यकता महसूस की है। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में और अधिक जानकारी।
Aug 27, 2025, 16:03 IST
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भारत का बाढ़ चेतावनी जारी करना
इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग ने बुधवार को पाकिस्तान को सूचित किया कि कई नदियों में अतिरिक्त पानी छोड़ा जा रहा है और 27 अगस्त को रावी, चिनाब और सतलुज नदियों में बाढ़ की गंभीर संभावना है। भारत ने पाकिस्तान को बाढ़ के संबंध में कई चेतावनियाँ दी हैं, जिसमें तवी नदी में बाढ़ की उच्च संभावना का उल्लेख किया गया है। उत्तर भारत में लगातार हो रही बारिश के कारण अधिकारियों को प्रमुख बांधों के द्वार खोलने की आवश्यकता पड़ी है। सिंधु जल संधि के तहत नियमित जलविज्ञान डेटा साझा करने का कार्य स्थगित होने के बावजूद, ये अलर्ट मानवीय आधार पर विदेश मंत्रालय के माध्यम से भेजे गए हैं। पहला अलर्ट सोमवार को जारी किया गया था, इसके बाद मंगलवार और बुधवार को भी चेतावनियाँ दी गईं।
तवी नदी की स्थिति
एक सूत्र के अनुसार, मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत ने मंगलवार और बुधवार को तवी नदी में बाढ़ की उच्च संभावना को लेकर एक और अलर्ट जारी किया। भारतीय क्षेत्रों में हो रही भारी बारिश के कारण कुछ बांधों के द्वार खोलने पड़े हैं। तवी नदी, जो हिमालय से निकलकर जम्मू से होकर चेनाब नदी में मिलती है, विशेष रूप से संवेदनशील मानी जाती है। भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ जल विज्ञान संबंधी आंकड़ों का नियमित आदान-प्रदान रोक दिया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
बाढ़ चेतावनियों का महत्व
हालांकि, भारत ने सीमा पार जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए बाढ़ की चेतावनियाँ जारी करना जारी रखा है। इस बीच, पंजाब में सतलुज, व्यास और रावी नदियाँ अपने जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण उफान पर हैं। जम्मू में भी लगातार बारिश हो रही है, जिससे नदियों का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है और प्रमुख जलाशयों के जलद्वार खोलने पड़े हैं। 1960 में हस्ताक्षरित और विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता की गई सिंधु जल संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच नदी जल के बंटवारे का प्रमुख समझौता बना हुआ है।