भारत ने पाकिस्तान के परमाणु बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख, आसिम मुनीर, द्वारा हाल ही में अमेरिका में दिए गए बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारत ने इस पर आरोप लगाया है कि इस्लामाबाद अपने परमाणु सामर्थ्य को लापरवाही से प्रदर्शित कर रहा है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान का यह 'परमाणु प्रदर्शन' उसकी परमाणु कमान और नियंत्रण प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाता है।
MEA की टिप्पणी
विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपने बयान में पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व की टिप्पणियों को 'अविवेकपूर्ण' करार दिया और कहा कि ऐसे बयानों से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा और जिम्मेदारी के बारे में पहले से मौजूद संदेह और बढ़ते हैं।
MEA ने कहा, 'हमारी नजरें उन टिप्पणियों पर हैं जो पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने अमेरिका में की हैं। परमाणु हथियारों का प्रदर्शन पाकिस्तान की आदत बन गई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसे बयानों की अविवेकपूर्णता पर अपने निष्कर्ष निकाल सकता है, जो इस बात को भी मजबूत करते हैं कि एक ऐसे राज्य में जहां सेना आतंकवादी समूहों के साथ मिली हुई है, परमाणु कमान और नियंत्रण की अखंडता पर संदेह है।'
आसिम मुनीर के बयान
आसिम मुनीर ने कहा कि यदि भविष्य में भारत के साथ युद्ध में पाकिस्तान के अस्तित्व को खतरा होता है, तो वह 'आधे विश्व को नष्ट' करने में संकोच नहीं करेगा। यह बयान अमेरिका की धरती से किसी तीसरे देश के खिलाफ पहला ज्ञात परमाणु खतरा माना जा रहा है। उन्होंने कहा, 'हम एक परमाणु शक्ति हैं। यदि हमें लगता है कि हमें समाप्त किया जा रहा है, तो हम आधे विश्व को अपने साथ ले जाएंगे।'
मुनीर ने यह भी चेतावनी दी कि यदि भारत ने सिंधु नदी प्रणाली पर कोई ऐसा ढांचा बनाया जो पाकिस्तान की जल आपूर्ति को बाधित कर सके, तो उसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के पास मिसाइलों की कोई कमी नहीं है।
MEA का बयान जारी
MEA के बयान में यह भी कहा गया, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये टिप्पणियाँ एक मित्रवत तीसरे देश की धरती से की गईं। भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।'
यह बयान उस समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव फिर से बढ़ रहा है, दोनों ही परमाणु संपन्न देश हैं। हाल की कूटनीतिक और सैन्य घटनाक्रमों ने एक बार फिर दक्षिण एशिया में सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दे को केंद्र में ला दिया है।