भारत ने ट्रम्प के टैरिफ दबाव को चतुराई से संभाला

भारत की कूटनीति का प्रभाव
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 9 जुलाई को टैरिफ के लिए एक डेडलाइन निर्धारित की थी, लेकिन भारत ने इस चुनौती का सामना कुशलता से किया। जब ट्रम्प ने ट्रेड मुद्दों पर सख्त रुख अपनाया और 90 डील्स इन 90 डेज़ का वादा किया, तो ऐसा लगा कि भारत को फिर से कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
ट्रम्प की धमकियों का उद्देश्य अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर दबाव डालना था। हालांकि, इस बार भारत ने खुद को इस खींचातानी से बचाने में सफलता प्राप्त की।
भारत की रणनीति
9 जुलाई की डेडलाइन के बाद, ट्रम्प ने कई देशों को सख्त चिट्ठियां भेजीं, लेकिन भारत को कोई चेतावनी नहीं मिली। यह भारत की सोच-समझकर बनाई गई कूटनीति का परिणाम है। भारतीय अधिकारियों ने बताया कि बातचीत जारी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने ट्रम्प के टैरिफ के खतरे को कम करने में सफलता पाई है।
दबाव का सामना
भारत ने ट्रम्प के दबाव का सामना करते हुए बातचीत का रास्ता खुला रखा है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत जल्दबाजी में कोई डील नहीं करेगा। यह अमेरिका को स्पष्ट संकेत है कि भारत अपनी शर्तों पर ही समझौता करेगा।
भारत ने बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं और कई बार प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन भेजा है। इसने तनाव को बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचने का प्रयास किया है।
ट्रम्प की नई डेडलाइन
दोनों पक्ष अब व्यावहारिक समझौते की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि, एक बड़ी फ्री ट्रेड डील इतनी जल्दी संभव नहीं है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में छोटे समझौते की संभावना है। ट्रम्प इसे अपनी 90 डील्स में शामिल कर सकते हैं।
भारत ने 1 अगस्त की नई डेडलाइन तक डील की संभावना को खुला रखा है। यदि भारत इस डेडलाइन को पार कर जाता है और ट्रम्प कोई धमकी नहीं भेजते हैं, तो यह दर्शाएगा कि ट्रम्प भारत को विशेष रियायतें देने के लिए तैयार हैं।
भारत की कूटनीतिक ताकत
कुल मिलाकर, 9 जुलाई की डेडलाइन को पार करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत है। यदि भारत 1 अगस्त की डेडलाइन भी पार कर जाता है, तो यह साबित होगा कि भारत एक मजबूत साझेदार बना रह सकता है।
आने वाले हफ्ते महत्वपूर्ण रहेंगे। यदि भारत अमेरिका के साथ सीमित समझौता अपनी शर्तों पर कर लेता है, तो यह भारत की कूटनीतिक ताकत का प्रमाण होगा।