भारत ने कोस्टा रिका को भेजा पहला फोर्टिफाइड चावल का निर्यात
                                        
                                    भारत का नया निर्यात कदम
नई दिल्ली, 4 नवंबर: भारत ने छत्तीसगढ़ से कोस्टा रिका के लिए 12 मीट्रिक टन फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) का पहला निर्यात किया है, यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को दी।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा संचालित इस पहल से भारत की खाद्य फोर्टिफिकेशन में तकनीकी क्षमता और वैश्विक खाद्य सुरक्षा तथा पोषण सुधार के प्रति प्रतिबद्धता का पता चलता है।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा करते हुए कहा, "छत्तीसगढ़ से 12 मीट्रिक टन फोर्टिफाइड राइस कर्नेल का पहला निर्यात कोस्टा रिका के लिए किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी जी के पोषण के खिलाफ लड़ाई के प्रयासों के तहत, यह वैश्विक स्तर पर हमारी विदेशी व्यापार को मजबूत करता है और हमारे पोषण मिशन को भी।"
उन्होंने आगे कहा, "यह हमारे किसानों, मिलरों और निर्यातकों को नए बाजार, बेहतर मूल्य प्राप्ति और मूल्य वर्धित कृषि निर्यात के लिए अधिक प्रचार प्रदान करता है।"
छत्तीसगढ़ ने चावल और फोर्टिफाइड चावल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं, जिससे राज्य के किसान, मिलर और निर्यातक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान प्राप्त कर सकें।
मंत्रालय ने कहा, "कोस्टा रिका को FRK का सफल निर्यात छत्तीसगढ़ की वैश्विक पोषण समृद्ध खाद्य उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ती भूमिका को उजागर करता है।"
यह भारत को वैश्विक बाजारों में पोषणयुक्त और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता भी बनाता है।
APEDA के अध्यक्ष अभिषेक देव ने कहा, "भारत से फोर्टिफाइड चावल का निर्यात न केवल देश के कृषि निर्यात पोर्टफोलियो को मजबूत करता है, बल्कि विज्ञान आधारित और वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त खाद्य समाधानों के माध्यम से कुपोषण को संबोधित करने की प्रतिबद्धता को भी पुनः पुष्टि करता है।"
FRK को चावल के आटे को आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है।
इन पोषक तत्वों को चावल के दानों के आकार में निकाला जाता है, जिसे फिर नियमित चावल के साथ एक पूर्व निर्धारित अनुपात में मिलाया जाता है ताकि इस मुख्य खाद्य पदार्थ का पोषण मूल्य बढ़ सके।
