भारत ने एससीओ शिखर सम्मेलन में आतंकवाद की निंदा की आवश्यकता पर जोर दिया

भारत ने आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले आतंकवाद की कड़ी निंदा की आवश्यकता पर जोर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि तियानजिन घोषणापत्र में सीमा पार आतंकवाद का उल्लेख होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत की स्थिति और पिछले अनुभवों के बारे में।
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भारत ने एससीओ शिखर सम्मेलन में आतंकवाद की निंदा की आवश्यकता पर जोर दिया

भारत की स्थिति एससीओ शिखर सम्मेलन पर

चीन में अगले सप्ताह आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले, भारत ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि संयुक्त घोषणापत्र में सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवाद की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने बताया कि तियानजिन घोषणापत्र का मसौदा तैयार किया जा रहा है और भारत अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहा है कि दस्तावेज़ में आतंकवाद की निंदा शामिल हो।


 


विदेश सचिव विक्रम मिस्री और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने कहा कि शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र का मसौदा अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हम अन्य सदस्यों और साझेदारों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने पर काम कर रहे हैं कि सीमा पार आतंकवाद की निंदा की जाए। यह टिप्पणी संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद के उल्लेख की संभावना के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में आई।


 


तन्मय लाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर 31 अगस्त और 1 सितंबर को शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक के लिए तियानजिन का दौरा करेंगे। एससीओ का गठन आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसी समस्याओं से निपटने के लिए किया गया था, जो आज भी एक चुनौती बनी हुई हैं। एससीओ में भारत के अलावा बेलारूस, चीन, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। तियानजिन में होने वाले इस शिखर सम्मेलन में 31 अगस्त की शाम को एक स्वागत भोज और मुख्य शिखर सम्मेलन 1 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री इस दौरान कुछ द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं।


 


राजनाथ सिंह ने संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से किया था इनकार


इस साल जून में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था, लेकिन उन्होंने संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि यह दस्तावेज आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को सही तरीके से नहीं दर्शाता था, और इसमें बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का उल्लेख था। 22 अप्रैल को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों द्वारा किए गए पहलगाम हमले का कोई उल्लेख नहीं था, जिसके बाद राजनाथ ने कड़ा रुख अपनाया और घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए। इस कारण उस बैठक में कोई संयुक्त घोषणापत्र पारित नहीं किया गया।