भारत ने अक्टूबर में रूस से कच्चे तेल पर खर्च किए 2.5 अरब यूरो
भारत का रूसी तेल खरीदने का खर्च
भारत, जो कि रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का खरीदार है, ने अक्टूबर में रूसी तेल की खरीद पर 2.5 अरब यूरो खर्च किए। यह खर्च सितंबर के समान ही रहा। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के अनुसार, अक्टूबर में भारत, चीन के बाद, रूस से जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना।
रूस पर नए प्रतिबंधों का प्रभाव
22 अक्टूबर को, अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध के लिए क्रेमलिन के संसाधनों को कम करने के उद्देश्य से रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकऑयल पर प्रतिबंध लगाए। इन प्रतिबंधों के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड जैसी कंपनियों ने रूस से तेल का आयात रोक दिया। अक्टूबर में, रूस ने कुल छह करोड़ बैरल कच्चा तेल भेजा, जिसमें रोसनेफ्ट और लुकऑयल का योगदान 4.5 करोड़ बैरल था।
भारत का तेल आयात विवरण
सीआरईए की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने कुल 3.1 अरब यूरो का इंपोर्ट किया, जिसमें कच्चे तेल का हिस्सा 81 प्रतिशत (2.5 अरब यूरो) था। इसके बाद कोयले का 11 प्रतिशत (35.1 करोड़ यूरो) और तेल उत्पादों का सात प्रतिशत (22.2 करोड़ यूरो) रहा। भारत ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूस से अपने आयात में काफी वृद्धि की।
रूसी तेल की भारी छूट
पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोपीय मांग में कमी के कारण, रूसी तेल भारी छूट पर उपलब्ध हो गया। इसके परिणामस्वरूप, भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात तेजी से बढ़कर उसके कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 40 प्रतिशत हो गया। सितंबर में, भारत ने कुल 3.6 अरब यूरो खर्च किए, जिसमें कच्चे तेल पर 2.5 अरब यूरो शामिल थे।
आयात में वृद्धि
सीआरईए के अनुसार, अक्टूबर में भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात में माह-दर-माह आधार पर 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई। निजी रिफाइनरियों का आयात भारत के कुल आयात का दो-तिहाई से अधिक था, जबकि सरकारी रिफाइनरियों ने अपने रूसी आयात की मात्रा को लगभग दोगुना कर दिया। रोसनेफ्ट के स्वामित्व वाली वाडिनार रिफाइनरी ने अक्टूबर में अपना उत्पादन 90 प्रतिशत तक बढ़ा दिया।
प्रतिबंधों का प्रभाव
सीआरईए ने बताया कि अक्टूबर में रूसी कच्चे तेल का उपयोग करने वाली छह भारतीय और तुर्की रिफाइनरियों से प्रतिबंधित देशों के आयात में आठ प्रतिशत की कमी आई। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया का आयात 140 प्रतिशत बढ़कर 9.3 करोड़ यूरो हो गया, जबकि अमेरिका का आयात भी 17 प्रतिशत बढ़कर 12.66 करोड़ यूरो हो गया।
