भारत: डेटा सेंटर का सबसे सस्ता हब, विदेशी कंपनियों का बढ़ता आकर्षण

भारत का डेटा सेंटर उद्योग

भारत में दुनिया का सिर्फ 3 प्रतिशत डेटा परिचालन होता है
भारत अब उन देशों में शामिल हो गया है जहां डेटा सेंटर स्थापित करना सबसे सस्ता और लाभकारी हो गया है। कोटक म्यूचुअल फंड की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में डेटा सेंटर की स्थापना की लागत अन्य प्रमुख देशों की तुलना में सबसे कम है। इस कारण विदेशी कंपनियां भी भारत की ओर आकर्षित हो रही हैं, जिससे देश की डिजिटल क्षमता में तेजी आ रही है।
डेटा सेंटर की लागत
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में एक वॉट का डेटा सेंटर बनाने में केवल 7 डॉलर का खर्च आता है, जो कि वैश्विक स्तर पर सबसे कम है। चीन में यह लागत 6 डॉलर प्रति वॉट है, जबकि जापान में यह लगभग 14 डॉलर, ब्रिटेन में 11 डॉलर और अमेरिका, दक्षिण कोरिया तथा ऑस्ट्रेलिया में 10 डॉलर प्रति वॉट के आसपास है। इस प्रकार, भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता स्पष्ट है।
हाइपरस्केल डेटा सेंटर की बढ़ती मांग
डेटा सेंटर वे स्थान हैं जहां बड़ी मात्रा में डिजिटल जानकारी को संग्रहित और संसाधित किया जाता है। 2019 में भारत में केवल 5 हाइपरस्केल डेटा सेंटर थे, लेकिन 2024 तक उनकी संख्या बढ़कर 15 होने की उम्मीद है। यह वृद्धि इंटरनेट, ऐप्स, ऑनलाइन सेवाओं और डिजिटल भुगतान के बढ़ते उपयोग के कारण हो रही है।
राज्य सरकारों की रियायतें
डेटा सेंटर की स्थापना में केवल मशीनों और इमारतों का खर्च नहीं होता, बल्कि बिजली, कनेक्टिविटी, भूमि और अन्य सुविधाएं भी आवश्यक होती हैं। इस क्षेत्र में राज्य सरकारें भी सहायता प्रदान कर रही हैं।
- तमिलनाडु ने 2021 में नीति बनाई, जिसमें कंपनियों को बिजली पर 100% सब्सिडी दी जाती है।
- उत्तर प्रदेश ने ओपन एक्सेस बिजली और ट्रांसमिशन शुल्क पर छूट दी है।
- तेलंगाना ने 2016 में नीतियों के तहत सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराई है।
- महाराष्ट्र ने 2023 में पॉलिसी लागू की, जिसमें बिजली पर आजीवन छूट दी जा रही है।
हर राज्य निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आकर्षक प्रस्ताव दे रहा है।
कानूनी समर्थन
भारत में डेटा सेंटर की वृद्धि का एक कारण यह भी है कि सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण कानून बनाए हैं।
- 2018 में RBI ने आदेश दिया कि भुगतान कंपनियों को भारत में डेटा रखना होगा।
- SEBI ने 2023 में सभी वित्तीय कंपनियों के लिए ऐसा ही नियम लागू किया।
- DPDP एक्ट 2023 के तहत सरकार डेटा के विदेश भेजने पर रोक लगा सकती है।
इन कानूनों के कारण कंपनियों को भारत में डेटा सेंटर स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
भारत में डेटा सेंटर की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में दुनिया के कुल डेटा सेंटर में से केवल 3% भारत में हैं, जबकि भारत की डेटा खपत 20% से अधिक है। इसका मतलब है कि भारत में डेटा सेंटर की मांग है, लेकिन अधिकांश डेटा अभी भी विदेशों में संग्रहित होता है। भविष्य में यह स्थिति बदल सकती है।