भारत-जर्मनी साझेदारी पर News9 Global Summit 2025 में चर्चा

News9 Global Summit 2025 में भारत और जर्मनी के बीच संबंधों पर चर्चा की गई। गुंथर एच. ओटिंगर ने इस मंच को दोनों देशों के बीच विचारों के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण अवसर बताया। उन्होंने चीन की नीतियों की आलोचना करते हुए भारत और यूरोप के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। ओटिंगर ने भारतीय युवा पीढ़ी की सराहना की और कहा कि जर्मनी के साथ साझेदारी भारत के लिए अधिक स्थिर हो सकती है। इस समिट में खेल, व्यापार और डिजिटल सेवाओं में सहयोग की अपार संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।
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भारत-जर्मनी साझेदारी पर News9 Global Summit 2025 में चर्चा

News9 Global Summit 2025 का उद्घाटन

भारत-जर्मनी साझेदारी पर News9 Global Summit 2025 में चर्चा

न्यूज़9 ग्लोबल समिट 2025

जर्मनी के बाडेन-वुर्टेमबर्ग में गुरुवार को News9 Global Summit 2025 का दूसरा संस्करण आरंभ हुआ। इस अवसर पर यूरोपीय आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष गुंथर एच. ओटिंगर ने 'Baden-Württemberg: Where Innovation Meets Enterprise' विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने भारत और जर्मनी के बीच संबंधों की सराहना करते हुए कहा कि यह मंच दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग को नई दिशा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। ओटिंगर ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है, जहां भारत और जर्मनी के नेता एकत्र होकर विचारों का आदान-प्रदान कर सकें और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा कर सकें।


भारत और यूरोप के बीच विश्वास का विकास

भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए ओटिंगर ने कहा कि महामारी के कारण दुनिया कई कठिनाइयों का सामना कर रही है, जिसमें स्वार्थ, अस्थिरता और आर्थिक समस्याएं शामिल हैं। फिर भी, तकनीकी नवाचार के माध्यम से प्रगति संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन आने वाले वर्षों में और अधिक हाई-टेक बन जाएगा और एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरेगा।

ओटिंगर ने भारत को एक मजबूत लोकतांत्रिक देश बताया, जहां 140 करोड़ से अधिक लोग निवास करते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अमेरिका और यूरोप के बीच संबंध जटिल होते जा रहे हैं, विशेषकर ट्रंप की नीतियों और व्यापारिक प्रतिबंधों के कारण। इसके बावजूद, भारत और यूरोप के बीच समान विचारधारा और विश्वास का रिश्ता विकसित हो सकता है।


चीन की नीतियों पर आलोचना

चीन की नीतियों पर टिप्पणी करते हुए ओटिंगर ने कहा कि चीन एक तानाशाही शासन है, जो एशिया और विश्व पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है। ऐसे में भारत और यूरोप के बीच सहयोग की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। उन्होंने भारतीय युवा पीढ़ी की सराहना की, जो आईटी, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बना रही है। जर्मनी और बाडेन-वुर्टेम्बर्ग में भी कई हाई-टेक उद्योग हैं, जैसे मर्सिडीज, बॉश, और एसएपी, जो भारत के साथ सहयोग कर सकते हैं।

ओटिंगर ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग से एक लाभकारी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भारत के लिए, जर्मनी के साथ साझेदारी चीन, अमेरिका और रूस की तुलना में अधिक स्थिर और विश्वसनीय हो सकती है। समिट के समापन पर, ओटिंगर ने कहा कि खेल, व्यापार, ऑटोमोबाइल, डिजिटल सेवाओं और निवेश जैसे क्षेत्रों में भारत-जर्मनी सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, यह तो बस शुरुआत है, हमें इसे आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना होगा।