भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत: मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात

भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंध
दुनिया के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों के बीच, जिनकी सैन्य ताकत भी सबसे बड़ी है, लंबे समय से विवादित सीमा पर तनाव बना हुआ है। 5 मई 2020 से, लद्दाख और तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच कई बार झड़पें हुई हैं, खासकर पैंगोंग झील के पास और सिक्किम-तिब्बत सीमा पर। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भी कई स्थानों पर टकराव देखने को मिले।
गलवान घाटी में संघर्ष
मई के अंत में, चीनी सेना ने गलवान नदी घाटी में भारतीय सड़क निर्माण पर आपत्ति जताई। भारतीय सूत्रों के अनुसार, 15-16 जून 2020 को हुई झड़प में दोनों पक्षों के सैनिकों की जानें गईं। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि दोनों पक्षों के सैनिकों को कुछ समय के लिए बंदी बनाया गया था, लेकिन आधिकारिक सूत्रों ने इस बात से इनकार किया। 7 सितंबर को, 45 वर्षों में पहली बार, एलएसी पर गोलीबारी हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए।
मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात
लगभग सात साल बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अगस्त को तियानजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह 2020 के गलवान संघर्ष के बाद उनकी पहली यात्रा थी। इस मुलाकात को दोनों देशों के बीच संबंधों को पुनर्स्थापित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मोदी ने शी को 2026 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे शी ने स्वीकार किया।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस मुलाकात के बाद, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह 'न्यू नॉर्मल' चीन की आक्रामकता और सरकार की कायरता को दर्शाता है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार ने गलवान घाटी में हुई घटनाओं को भुला दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन से आयात की अनियंत्रित 'डंपिंग' जारी है, जिससे भारतीय एमएसएमई को नुकसान हो रहा है।