भारत-चीन व्यापार पर नेपाल की आपत्ति को केंद्र सरकार ने किया खारिज
केंद्र सरकार ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत-चीन व्यापार को फिर से शुरू करने पर नेपाल की आपत्ति को खारिज कर दिया है। नेपाल ने इस क्षेत्र को अपना बताया है, जबकि भारत ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत बताया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत और चीन के बीच व्यापार 1954 से चल रहा है और इसे पुनः आरंभ करने पर सहमति बनी है। नेपाल का विदेश मंत्रालय इस कदम पर आपत्ति जताते हुए इसे अपने क्षेत्र का अविभाज्य हिस्सा मानता है।
Aug 21, 2025, 16:39 IST
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भारत-चीन व्यापार मार्ग पर नेपाल की आपत्ति
केंद्र सरकार ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत-चीन व्यापार को पुनः आरंभ करने पर नेपाल की आपत्ति को अस्वीकार कर दिया है। सरकार ने काठमांडू के क्षेत्रीय दावों को 'अस्थिर' और 'ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों' के अभाव में बताया है। नेपाल ने पहले कहा था कि लिपुलेख दर्रे का दक्षिणी किनारा, जिसे कालापानी क्षेत्र कहा जाता है, नेपाल का हिस्सा है। इसके साथ ही, नई दिल्ली ने इस क्षेत्र में किसी भी व्यापारिक गतिविधि से बचने का आग्रह किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेपाल के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित हैं।
विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत और चीन के बीच व्यापार 1954 से चल रहा है। कोविड-19 और अन्य कारणों से यह व्यापार बाधित हुआ था, लेकिन अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दावों के संबंध में, हमारा स्पष्ट रुख है कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित हैं। किसी भी एकतरफ़ा क्षेत्रीय दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
नेपाल का आधिकारिक बयान
नेपाली विदेश मंत्रालय ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह क्षेत्र नेपाल का अविभाज्य हिस्सा है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि महाकाली नदी के पूर्व में स्थित लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के अविभाज्य अंग हैं, जो नेपाली मानचित्र और संविधान में शामिल हैं।