भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नितिन गडकरी के सुझाव

नितिन गडकरी के आत्मनिर्भरता के सुझाव

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दो महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए हैं। उनका मानना है कि 'ज्ञान से धन' और 'कोई भी सामग्री बेकार नहीं' जैसे सिद्धांत देश में धन सृजन में क्रांति ला सकते हैं। गडकरी ने कहा कि ये विचार भारत को 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य की ओर ले जाएंगे।
गडकरी ने बताया कि इनोवेशन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान कौशल और सफल कार्यप्रणालियों को ज्ञान के रूप में देखा जा सकता है। यही ज्ञान शक्ति है, और इसका धन में रूपांतरण ही देश के भविष्य को आकार देगा। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी सामग्री बेकार नहीं होती, और कचरा भी धन सृजन में सहायक हो सकता है। कचरे से मूल्य सृजन करने से न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और आयात में कमी आएगी। इससे ईंधन की कीमतें भी घटेंगी, जिससे ग्राहकों को लाभ होगा।
गडकरी के अन्य विचार
गडकरी ने सतत विकास के लिए एक ऐसे दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया, जो देश को प्रदूषण मुक्त बनाए और आयात का विकल्प प्रदान करे। उन्होंने कहा कि यदि हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे, तो भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा। गडकरी ने जैव ईंधन और सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा को स्वच्छता परियोजनाओं में शामिल करने की बात की, बशर्ते कि तकनीकी, आर्थिक व्यवहार्यता, कच्चे माल की उपलब्धता और तैयार उत्पादों के लिए बाजार की उपलब्धता पर ध्यान दिया जाए।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत हर साल 22 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन आयात करता है, जो एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। यदि यह धन देश में ही रहेगा, तो इससे करोड़ों रोजगार पैदा होंगे और विकास को बढ़ावा मिलेगा। विद्युत गतिशीलता में भारत की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरूआत के साथ भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग दुनिया में सातवें से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, जिसने जापान को पीछे छोड़ दिया है।