भारत के सामने तीन प्रमुख रणनीतिक चुनौतियाँ: अमेरिका, चीन और पाकिस्तान

भारत वर्तमान में तीन महत्वपूर्ण रणनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है: अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापार शुल्क, चीन और पाकिस्तान का बढ़ता नौसैनिक गठजोड़, और पाकिस्तान के सेना प्रमुख की धमकियाँ। हाल ही में हुई संसदीय समिति की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें भारत ने अपने रुख को स्पष्ट किया। जानें कैसे ये चुनौतियाँ भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों को प्रभावित कर रही हैं।
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भारत के सामने तीन प्रमुख रणनीतिक चुनौतियाँ: अमेरिका, चीन और पाकिस्तान

भारत की रणनीतिक स्थिति पर दबाव

वर्तमान में, भारत को तीन महत्वपूर्ण मोर्चों पर रणनीतिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए उच्च आयात शुल्क और व्यापार वार्ताओं में गतिरोध है। दूसरी ओर, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान के बढ़ते नौसैनिक गठजोड़ से उत्पन्न सुरक्षा खतरे हैं। तीसरी ओर, पाकिस्तान के सेना प्रमुख की धमकी भरी बयानबाजी है। ये सभी स्थितियाँ भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती हैं।


संसदीय समिति की बैठक में उठे सवाल

हाल ही में विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक में सदस्यों ने इन तीन मुद्दों पर सरकार से कई सवाल पूछे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री और वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने स्पष्ट किया कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं में कुछ 'रेड लाइन' पार नहीं की जा सकती। इनमें प्रमुख है— अमेरिका की कृषि और डेयरी क्षेत्र को भारतीय बाजार में व्यापक पहुँच देने की मांग, जिस पर भारत ने सख्त रुख अपनाया है। ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाकर कुल शुल्क 50% तक पहुँचा दिया है और चेतावनी दी है कि विवाद सुलझे बिना नई व्यापार वार्ता नहीं होगी। इसके बावजूद, भारत ने अपने रुख में ढील नहीं दी और 'निर्यात विविधीकरण रणनीति' के तहत अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों को बढ़ावा देने की तैयारी शुरू कर दी है।


चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी पर चिंता

संसदीय समिति की एक अन्य रिपोर्ट ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी और पाकिस्तान के साथ उसके नौसैनिक गठजोड़ पर गंभीर चिंता जताई। रिपोर्ट के अनुसार, चीन अब दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना का मालिक है, जो हर साल 15 से अधिक नए जहाज अपने बेड़े में शामिल कर रहा है। यह सक्रियता भारत के समुद्री हितों और रणनीतिक स्वायत्तता को चुनौती देती है। पाकिस्तान के साथ उसकी सैन्य साझेदारी हिंद महासागर में शक्ति संतुलन को बदलने की क्षमता रखती है। भारत की 7,500 किमी लंबी तटरेखा और 1,300 से अधिक द्वीप इसे स्वाभाविक रूप से हिंद महासागर की महाशक्ति बनाते हैं, लेकिन यह स्थिति तभी टिकाऊ होगी जब भारत अपनी नौसैनिक क्षमताओं और क्षेत्रीय साझेदारियों को समय रहते मज़बूत करे।


पाकिस्तान के सेना प्रमुख की धमकी

बैठक में सदस्यों ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर द्वारा अमेरिका में दिए गए 'परमाणु धमकी भरे बयान' का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने पूछा कि अमेरिका जैसे 'रणनीतिक सहयोगी' की धरती से ऐसा बयान कैसे दिया जा सकता है। सरकार ने संकेत दिया है कि इस मुद्दे को अमेरिकी दूतावास के साथ उठाया जा सकता है। सांसदों ने विदेश सचिव से पूछा कि मुनीर ने अमेरिका यात्रा के दौरान भारत को परमाणु धमकी कैसे दी। विदेश सचिव ने कहा कि यह पाकिस्तान की पुरानी आदत है और भारत 'परमाणु ब्लैकमेल' के आगे नहीं झुकेगा।


भारत की कूटनीतिक चुनौतियाँ

अमेरिका के टैरिफ वार और चीन-पाक गठजोड़ का समाधान एक संतुलित, दृढ़ और दूरदर्शी कूटनीति से ही संभव है। भारत को अमेरिका जैसे बड़े बाजार के साथ संवाद जारी रखते हुए निर्यात विविधीकरण को तेज़ करना होगा। साथ ही, हिंद महासागर में नौसैनिक उपस्थिति, क्षेत्रीय सहयोग (जैसे क्वाड) और समुद्री निगरानी क्षमताओं को मज़बूत करना होगा। भारत जिस मोड़ पर खड़ा है, वहाँ व्यापारिक और सामरिक—दोनों नीतियों का घनिष्ठ तालमेल आवश्यक है। यह परीक्षा सिर्फ सरकार की आर्थिक या रक्षा नीतियों की नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक पहचान की है।