भारत के विदेश सचिव का नेपाल दौरा: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री का हालिया नेपाल दौरा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने नेपाल के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और व्यापार, ऊर्जा सहयोग, और क्षेत्रीय विकास जैसे मुद्दों पर चर्चा की। यह दौरा नेपाली प्रधानमंत्री के भारत दौरे की तैयारी के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत की 'Neighbourhood First' नीति के तहत नेपाल को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। इस यात्रा के माध्यम से भारत ने नेपाल के साथ अपने संबंधों में विश्वास और सहयोग को बढ़ाने का प्रयास किया है, खासकर जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता और चीन की बढ़ती सक्रियता जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं।
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भारत के विदेश सचिव का नेपाल दौरा: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम

नेपाल यात्रा का महत्व

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री का नेपाल दौरा कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण रहा। यह यात्रा नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय के निमंत्रण पर आयोजित की गई और इसे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा तथा उसे आगे बढ़ाने के प्रयासों के तहत देखा गया। मिस्री ने अपनी यात्रा की शुरुआत प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से औपचारिक मुलाकात के साथ की। इस बैठक में ओली के मुख्य सलाहकार विष्णु प्रसाद रिमाल, भारत के नेपाल में राजदूत नवीन श्रीवास्तव और नेपाली विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। विदेश सचिव की मुलाकात नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, विदेश मंत्री अरजू राणा देउबा और पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा तथा पुष्प कमल दाहल ‘प्रचंड’ से भी हुई। इन बैठकों का उद्देश्य व्यापार, संपर्क, ऊर्जा सहयोग और क्षेत्रीय विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना था。


कूटनीतिक पहल और आगामी योजनाएँ

कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, यह दौरा नेपाली प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा की तैयारी के लिए भी महत्वपूर्ण है। अनुमान है कि ओली 16 सितंबर के आसपास नई दिल्ली आएँगे, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त, बोधगया (बिहार) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओली की एक अलग बैठक की भी योजना बनाई जा रही है। यह स्थल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जो दोनों देशों के बीच सिविलाइज़ेशनल कनेक्ट को और मजबूत कर सकता है।


भारत-नेपाल संबंधों की गहराई

भारतीय विदेश मंत्रालय ने विक्रम मिस्री की यात्रा को "नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा" का हिस्सा बताते हुए कहा कि भारत की ‘Neighbourhood First’ नीति में नेपाल को विशेष प्राथमिकता प्राप्त है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने भी अपने बयान में यह स्पष्ट किया है कि वार्ताओं का फोकस संपर्क, ऊर्जा और विकास सहयोग को मजबूत करने पर रहा।


राजनीतिक अस्थिरता और चुनौतियाँ

भारत-नेपाल संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से गहरे जुड़े हुए हैं, किंतु हाल के वर्षों में राजनीतिक असहमति और सीमा विवादों के कारण तनाव भी देखने को मिला है। विक्रम मिस्री का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता है और चीन भी नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।


भारत की रणनीतिक चिंताएँ

इस संदर्भ में भारत के लिए यह अवसर है कि वह नेपाल को विश्वास में लेकर ऊर्जा, व्यापार और संपर्क परियोजनाओं में सक्रिय भागीदारी दिखाए। वहीं नेपाल के लिए यह अवसर है कि वह अपनी आर्थिक प्रगति के लिए भारत से करीबी सहयोग बनाए रखे। यह दौरा दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में बने अविश्वास को कम करने और नए राजनीतिक व कूटनीतिक संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।


नए विश्वास का निर्माण

विदेश सचिव विक्रम मिस्री की यह यात्रा महज औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत-नेपाल संबंधों में नए विश्वास और सहयोग का सेतु बनने की क्षमता रखती है। यदि प्रधानमंत्री ओली की भारत यात्रा इस सकारात्मक माहौल को और मजबूत करती है, तो आने वाले समय में भारत-नेपाल संबंधों का नया अध्याय शुरू हो सकता है, जो पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा।


चीन की बढ़ती सक्रियता

इसके अलावा, विदेश सचिव विक्रम मिस्री का नेपाल दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता, चीन की सक्रियता और पाकिस्तान के गुप्त प्रयास— तीनों मिलकर भारत की रणनीतिक चिंताओं को बढ़ा रहे हैं। पाकिस्तान लगातार नेपाल की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए करने की कोशिश करता रहा है। हालिया घटनाएँ इस खतरे को और गंभीर बनाती हैं। ऐसे में मिस्री की यात्रा इस दिशा में कूटनीतिक सतर्कता और नेपाल को विश्वास में लेकर सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का संकेत है।


भारत-नेपाल संबंधों की स्थिरता

चीन पिछले एक दशक में नेपाल में सड़क, हाइड्रोपावर और व्यापारिक समझौतों के जरिए गहरी पैठ बना चुका है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत कई परियोजनाएँ नेपाल में प्रगति पर हैं। यह भारत के लिए रणनीतिक चुनौती है, क्योंकि चीन नेपाल को अपनी भौगोलिक "buffer zone" के बजाय राजनीतिक प्रभाव क्षेत्र बनाने की कोशिश कर रहा है। मिस्री का यह दौरा इस संदेश के साथ देखा जा सकता है कि भारत अभी भी नेपाल का विश्वसनीय और निकटतम साझेदार है।


निष्कर्ष

कुल मिलाकर, विक्रम मिस्री की यह नेपाल यात्रा भारत के लिए रणनीतिक और राजनीतिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा की तैयारी है, बल्कि नेपाल की जनता और नेतृत्व को यह विश्वास दिलाने का भी प्रयास है कि भारत ही उनका सबसे निकटतम मित्र और साझेदार है। पाकिस्तान और चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह यात्रा भारत-नेपाल रिश्तों में स्थिरता और गहराई लाने का अवसर है।