भारत के बजट 2026 में टैक्स छूट की उम्मीदें: क्या बदलेगा कुछ?

भारत के बजट 2026 में टैक्स छूट की उम्मीदें बढ़ रही हैं, खासकर सेक्शन 80C और होम लोन की सीमाओं को लेकर। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई के चलते इन सीमाओं में बढ़ोतरी आवश्यक है। क्या सरकार इस बार आम आदमी को राहत देगी? जानें इस लेख में बजट से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ और संभावनाएँ।
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बजट 2026: आम आदमी की टैक्स राहत की उम्मीदें

भारत में टैक्स चुकाने वाले नागरिक हमेशा बजट से राहत की आस रखते हैं। हाल के वर्षों में सरकार ने टैक्स प्रणाली में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। अब एक नई कर व्यवस्था लागू हो चुकी है, जिसमें कम टैक्स दरों का लाभ तो है, लेकिन पुरानी छूटें समाप्त हो गई हैं। आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लगभग 72% करदाताओं ने नई व्यवस्था को अपनाया है, क्योंकि इसमें कागजी कार्रवाई कम है और नेट टैक्स का बोझ भी हल्का हुआ है।


पुरानी टैक्स व्यवस्था का दबाव

हालांकि, एक बड़ा वर्ग अभी भी पुरानी टैक्स व्यवस्था के साथ बना हुआ है। इसका मुख्य कारण उनकी पुरानी बचत, होम लोन और भविष्य के निवेश हैं। समस्या यह है कि जिन कटौतियों पर ये टैक्सपेयर्स निर्भर हैं, उनकी सीमा वर्षों से नहीं बढ़ी है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। आगामी बजट 2026 से उम्मीद है कि सरकार इन सीमाओं को बढ़ाने पर विचार करेगी।


सेक्शन 80C की स्थिति

सेक्शन 80C पर सबसे अधिक चर्चा होती है, जो पीपीएफ, ईएलएसएस, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन के मूलधन पर टैक्स छूट प्रदान करता है। आश्चर्य की बात यह है कि इसकी 1.5 लाख रुपये की सीमा 2014 से अपरिवर्तित है। पिछले एक दशक में सैलरी, खर्चे और महंगाई बढ़ी है, लेकिन बचत पर मिलने वाली छूट वही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये करना चाहिए, जिससे लोगों को महंगाई से लड़ने में मदद मिलेगी।


ब्याज दरों का बढ़ता बोझ

हर भारतीय का सपना अपना घर खरीदना होता है, लेकिन आजकल यह सपना महंगा साबित हो रहा है। प्रॉपर्टी की कीमतें आसमान छू रही हैं और होम लोन की ब्याज दरें भी कम नहीं हैं। वर्तमान में, होम लोन के ब्याज पर सालाना 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है। बढ़ती ईएमआई और ब्याज के बोझ को देखते हुए यह राहत अब अपर्याप्त लगती है। मांग उठ रही है कि इस सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाए।


हेल्थ इंश्योरेंस की सीमाएं

सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाली छूट भी आज के मेडिकल खर्चों के हिसाब से अपर्याप्त है। वर्तमान में, खुद और परिवार के लिए यह सीमा 25,000 रुपये और बुजुर्ग माता-पिता के लिए 50,000 रुपये है। अस्पतालों के बिल और दवाइयों के खर्च को देखते हुए यह सीमा बहुत कम है। इस सीमा में बढ़ोतरी से आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है।


एनपीएस में छूट की आवश्यकता

इसी तरह, रिटायरमेंट के लिए एनपीएस में मिलने वाली 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट भी अब पुरानी हो चुकी है। इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने से लोगों का भविष्य सुरक्षित होगा।