भारत के प्रधान न्यायाधीश ने जूता फेंकने की घटना को बताया विस्मृत अध्याय

भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने हाल ही में एक वकील द्वारा उन पर जूता फेंकने के प्रयास को एक 'विस्मृत अध्याय' करार दिया। इस घटना ने न्यायालय में हलचल मचा दी थी, जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने न्यायाधीशों की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। न्यायमूर्ति चंद्रन ने इस कृत्य को गंभीरता से लिया और इसे उच्चतम न्यायालय का अपमान बताया। जानें इस घटना के बारे में और क्या कहा गया।
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भारत के प्रधान न्यायाधीश ने जूता फेंकने की घटना को बताया विस्मृत अध्याय

प्रधान न्यायाधीश की प्रतिक्रिया

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने बृहस्पतिवार को बताया कि वह और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन उस समय चकित रह गए थे जब एक वकील ने 6 अक्टूबर को उन पर जूता फेंकने का प्रयास किया। हालांकि, उन्होंने इसे अब एक ‘विस्मृत अध्याय’ करार दिया।


घटना का विवरण

यह घटना उस दिन हुई जब प्रधान न्यायाधीश की पीठ वकीलों द्वारा प्रस्तुत मामलों की सुनवाई कर रही थी। 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने अपने जूते को निकालकर न्यायाधीशों की ओर फेंकने की कोशिश की। इस कृत्य की व्यापक निंदा की गई।


न्यायमूर्ति चंद्रन की टिप्पणी

प्रधान न्यायाधीश ने वनशक्ति मामले में फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान इस घटना पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, 'सोमवार को जो हुआ, उससे मैं और मेरे साथी न्यायमूर्ति चंद्रन बहुत स्तब्ध हैं; यह हमारे लिए एक विस्मृत अध्याय है।'


न्यायमूर्ति भुइयां का मत

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने दोषी वकील के खिलाफ की गई कार्रवाई पर असहमति जताई। उन्होंने कहा, 'यह मजाक की बात नहीं है! यह उच्चतम न्यायालय का अपमान है और इस पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए।' सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस कृत्य को अक्षम्य बताया।


सुनवाई का आगे का क्रम

शीर्ष विधि अधिकारी ने प्रधान न्यायाधीश की उदारता की सराहना की। अदालत में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन से अनुरोध किया कि सुनवाई को आगे बढ़ाया जाए और इस चौंकाने वाली घटना पर चर्चा न की जाए। प्रधान न्यायाधीश ने फिर से कहा, 'हमारे लिए यह एक विस्मृत अध्याय है।' इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई जारी रखी।