भारत के कृषि क्षेत्र का GVA 12 वर्षों में तीन गुना बढ़ा

भारत के कृषि क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धित (GVA) वित्तीय वर्ष 2012 से 2024 के बीच तीन गुना बढ़ गया है। यह रिपोर्ट कृषि क्षेत्र की वृद्धि, फसल उत्पादन और पशुपालन की भूमिका को उजागर करती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों का योगदान महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कृषि अब केवल खाद्यान्न उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विविधीकरण और ग्रामीण विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।
 | 
भारत के कृषि क्षेत्र का GVA 12 वर्षों में तीन गुना बढ़ा

कृषि क्षेत्र की वृद्धि

भारत के कृषि और संबंधित क्षेत्रों का सकल मूल्य वर्धित (GVA) वित्तीय वर्ष 2012 से 2024 के बीच तीन गुना से अधिक बढ़ गया है। यह जानकारी शुक्रवार को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में दी गई। कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो न केवल GDP में लगभग 16% का योगदान करता है, बल्कि देश की 46% से अधिक जनसंख्या को रोजगार भी प्रदान करता है।


कृषि उत्पादन का सांख्यिकीय विश्लेषण

"कृषि और संबंधित क्षेत्रों के उत्पादन मूल्य पर सांख्यिकीय रिपोर्ट" के अनुसार, कृषि क्षेत्र का GVA वित्तीय वर्ष 2012 में 1,500 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2024 में 4,800 हजार करोड़ रुपये हो गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में इसमें लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी अवधि में, कृषि का सकल उत्पादन मूल्य (GVO) भी 1,900 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 3,000 हजार करोड़ रुपये हो गया, जो 55 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।


फसल उत्पादन और राज्यों का प्रदर्शन

फसलों का कृषि GVO में सबसे बड़ा हिस्सा है, जो 54 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है। इसमें अनाज और फल-सब्जियों का योगदान 52 प्रतिशत से अधिक है। विशेष रूप से, धान और गेहूं अनाज GVO का 85 प्रतिशत जिम्मेदार हैं।


राज्यवार, उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जो अकेले राष्ट्रीय कृषि GVO का 17 प्रतिशत योगदान करता है। इसके बाद मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा हैं, जो कुल उत्पादन का 53 प्रतिशत प्रदान करते हैं।


पशुपालन की भूमिका

वित्तीय वर्ष 2012 में पशुधन का GVO 488 हजार करोड़ रुपये था, जो वित्तीय वर्ष 2024 में बढ़कर 919 हजार करोड़ रुपये हो गया। इसमें दूध का सबसे बड़ा हिस्सा है, हालांकि इसका प्रतिशत थोड़ा घटकर 66 हो गया है, जबकि मांस का योगदान 24 प्रतिशत तक बढ़ गया है।


फूलों की खेती में भी महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2012 में फूलों की खेती का GVO 17.4 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2024 में 28.1 हजार करोड़ रुपये हो गया, जो इस क्षेत्र में बढ़ते व्यापार संभावनाओं को दर्शाता है।


कृषि का आर्थिक महत्व

कुल मिलाकर, ये आंकड़े दिखाते हैं कि कृषि अब केवल खाद्यान्न उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विविधीकरण और ग्रामीण विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।