भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत

संसद में हलचल: उपराष्ट्रपति का इस्तीफा
21 जुलाई 2025 की रात को संसद का मानसून सत्र आरंभ हुआ। इस दौरान सियासी गतिविधियाँ तेज़ हो गईं, लेकिन अचानक एक समाचार ने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति ने तुरंत स्वीकार कर लिया। महज 15 मिनट में गृह मंत्रालय को भी इसकी सूचना भेजी गई। देश में स्तब्धता है, संसद में हड़कंप है और विपक्ष में बेचैनी है। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। अब सभी की नजरें नए उपराष्ट्रपति के चुनाव पर हैं। निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी है।
चुनाव की प्रक्रिया और समयसीमा
चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं की अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार, चुनाव कार्यक्रम की अधिसूचना जारी होने के बाद 30 से 32 दिनों की वैधानिक समयसीमा लागू होती है। उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने के लिए 14 दिन का समय दिया जाएगा, इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच और नामांकन वापस लेने के लिए दो दिन का समय निर्धारित है। यदि मतदान की आवश्यकता पड़ी, तो चुनाव नाम वापसी की समय-सीमा के 15 दिन बाद से पहले नहीं होना चाहिए।
चुनाव अधिसूचना से पहले की तैयारी
चुनाव अधिसूचना जारी करने से पहले आयोग को आमतौर पर तैयारी में दो से तीन हफ्ते लगते हैं। इस दौरान निर्वाचक मंडल की सूची को अद्यतन किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं। इसके साथ ही मतपत्रों को भी तैयार किया जाता है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के अनुसार, उम्मीदवारों के नाम अंतिम सूची के अनुसार क्रम में होने चाहिए।
नए उपराष्ट्रपति का चुनाव: समयसीमा
प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं और प्रारंभिक तैयारी को देखते हुए, 12 अगस्त को समाप्त होने वाले मानसून सत्र से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी होने की संभावना कम है। इसका मतलब है कि राज्यसभा को अपने नए अध्यक्ष का स्वागत करने के लिए नवंबर या दिसंबर में होने वाले शीतकालीन सत्र तक इंतजार करना पड़ सकता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1997 द्वारा संचालित होती है। यह चुनाव भारत के चुनाव आयोग द्वारा आयोजित किया जाता है।
निर्वाचक मंडल में शामिल सदस्य
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य शामिल होते हैं। इसके अलावा, दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य भी मतदान के लिए पात्र होते हैं। गुप्त मतदान के लिए एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जिससे आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति का पालन सुनिश्चित होता है।