भारत की हरित ऊर्जा क्रांति: कोयला उत्पादन में कमी और रिन्यूएबल एनर्जी का बढ़ता प्रभाव
भारत में हरित ऊर्जा की नई दिशा
भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। देश ने कोयला उत्पादन की गति को धीमा कर दिया है। इसका मुख्य कारण यह है कि कोयले का बड़ा भंडार जमा हो गया है और बिजली की मांग में कमी आई है। इस परिवर्तन के पीछे मौसम की अनुकूलता और हरित ऊर्जा का बढ़ता प्रभाव है, जो साफ-सुथरी ऊर्जा की दिशा में देश के प्रयासों का संकेत देता है।
कोयले की खपत में कमी
20.5 लाख टन कोयले की खपत हो रही
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में कोयला खदानों में लगभग 1000 लाख टन कोयला उपयोग के लिए तैयार है। इसके अलावा, देश के थर्मल पावर प्लांट्स में 21 दिनों से अधिक का कोयला स्टॉक उपलब्ध है। वर्तमान में, बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन लगभग 20.5 लाख टन कोयले की आवश्यकता है। अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष बिजली की पीक डिमांड अपेक्षा से कम रही है, जिसका एक प्रमुख कारण रिन्यूएबल स्रोतों से बढ़ता उत्पादन और लंबे समय तक चलने वाला मानसून है। बारिश के कारण तापमान में कमी आई, जिससे थर्मल पावर की आवश्यकता में कमी आई।
बिजली की मांग में कमी
उम्मीद से कम रही बिजली की मांग
इस बदलाव की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय बिजली प्राधिकरण ने 2025 में 277 गीगावाट की पीक पावर डिमांड का अनुमान लगाया था, जबकि वास्तविक मांग 240 से 245 गीगावाट के बीच रही। यह दर्शाता है कि ऊर्जा के क्षेत्र में देश का दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है। इसके साथ ही, सरकार ने बिजली उत्पादन के लिए आयातित प्राकृतिक गैस के उपयोग को धीरे-धीरे समाप्त करने की योजना बनाई है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण में भी कमी आएगी।
हरित ऊर्जा में ऐतिहासिक उपलब्धि
समय से 5 साल पहले लक्ष्य पूरा
कोयले पर निर्भरता में कमी का सीधा संबंध भारत की हरित ऊर्जा क्रांति से है। देश ने अपनी ऊर्जा यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। जुलाई में, भारत ने अपनी कुल स्थापित बिजली क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त किया, जो पेरिस समझौते के तहत निर्धारित समय सीमा से 5 साल पहले पूरा हुआ। पिछले एक दशक में, भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो 2014 में 35 गीगावाट से बढ़कर अक्टूबर 2025 तक 197 गीगावाट से अधिक हो गई है।
भविष्य की योजनाएं
कई रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स पर चल रहा काम
वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में, 169.40 गीगावाट के रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स पर कार्य चल रहा है और 65.06 गीगावाट के टेंडर पहले ही जारी किए जा चुके हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भविष्य में यह वृद्धि कई नई पहलों से आएगी, जिनमें राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक में बड़े हाइब्रिड और RTC पावर प्रोजेक्ट्स, ऑफशोर विंड और पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। इसके साथ ही, 'पीएम सूर्यघर' और 'पीएम-कुसुम' जैसी योजनाएं गांवों में सोलर एनर्जी को बढ़ावा दे रही हैं। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भी औद्योगिक क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
