भारत की स्वतंत्र विदेश नीति: तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन में मोदी की रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों के खिलाफ अपनी रणनीति प्रस्तुत की। इस सम्मेलन में मोदी ने चीन और रूस के नेताओं से मुलाकात की, जिससे भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और वैश्विक सहयोग की दिशा स्पष्ट हुई। भारत ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए घरेलू सुधारों को लागू किया और बहुपक्षीय कूटनीति में अपनी भूमिका को मजबूत किया। यह सब दर्शाता है कि भारत अपने आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है।
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भारत की स्वतंत्र विदेश नीति: तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन में मोदी की रणनीति

प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक पहल

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों और उच्च टैरिफ के खिलाफ अपनी रणनीति प्रस्तुत की। मोदी का दृष्टिकोण मजबूत कूटनीतिक और वैश्विक सहयोग पर केंद्रित रहा।




ट्रंप ने भारत के रूसी तेल आयात पर अचानक 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसके बावजूद, भारत ने अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रखा और तेल नीति में कोई बदलाव नहीं किया। इसके साथ ही, भारत ने वैकल्पिक साझेदारियों की खोज शुरू की।




तियानजिन में, मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की। इस दौरान, भारत ने चीन और रूस के साथ संबंधों को और मजबूत करने का संकेत दिया। चीन ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों में छूट दी, जबकि रूस ने अमेरिकी टैरिफ के कारण होने वाले व्यापारिक नुकसान को संतुलित करने के उपाय प्रस्तुत किए।




मोदी की यह पहल भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाती है, और यह स्पष्ट संदेश देती है कि भारत केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं रहेगा। रूस ने भी भारत का समर्थन करते हुए अमेरिकी दबाव को खारिज किया और मोदी की नेतृत्व क्षमता को “संतुलित और बुद्धिमान” बताया।




भारत ने घरेलू सुधारों के माध्यम से अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया और क्वाड तथा SCO जैसे मंचों में सक्रिय रहते हुए कई वैश्विक साझेदारियों को मजबूत किया। तियानजिन में हुई मुलाकात ने यह प्रदर्शित किया कि अमेरिका के आर्थिक दबाव के बावजूद, भारत अपने हितों की रक्षा करते हुए बहुपक्षीय कूटनीति में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।




इस रणनीति ने वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत किया और यह दिखाया कि भारत न केवल अपने आर्थिक हितों की रक्षा कर सकता है, बल्कि विश्व राजनीति में अपने प्रभाव को भी बढ़ा सकता है।