भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन: मित्र शक्ति-2025 और अजेया वॉरियर-25 अभ्यास

भारत की सैन्य शक्ति का अद्वितीय प्रदर्शन बेलगावी में मित्र शक्ति-2025 और राजस्थान में अजेया वॉरियर-25 अभ्यास के माध्यम से हो रहा है। ये अभ्यास न केवल तकनीकी सहयोग का प्रतीक हैं, बल्कि भारत के दृढ़ रक्षा संकल्प और सैनिकों की अनुशासनिक वीरता का भी परिचायक हैं। इन अभ्यासों का उद्देश्य आतंकवाद-रोधी अभियानों में दक्षता बढ़ाना और क्षेत्रीय स्थिरता को सुनिश्चित करना है। भारतीय सैनिकों की साहस और तकनीकी दक्षता इस बात का प्रमाण है कि भारत की सुरक्षा दृष्टि ठोस और विश्वसनीय है।
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भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन: मित्र शक्ति-2025 और अजेया वॉरियर-25 अभ्यास

भारत की सैन्य शक्ति का अद्वितीय प्रदर्शन

जब देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले वीर सैनिक अपने पड़ोसी देशों और मित्र राष्ट्रों के साथ मिलकर अभ्यास करते हैं, तो यह केवल युद्ध कौशल का प्रदर्शन नहीं होता, बल्कि यह भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति का प्रतीक है, जो वैश्विक स्तर पर शांति और सामरिक उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित कर रही है। वर्तमान में, यह आत्मविश्वास बेलगावी में भारत-श्रीलंका मित्र शक्ति-2025 और राजस्थान में भारत-ब्रिटेन अजेया वॉरियर-25 अभ्यास के माध्यम से प्रकट हो रहा है। ये दोनों अभ्यास न केवल तकनीकी सहयोग का प्रतीक हैं, बल्कि भारत के दृढ़ रक्षा संकल्प और सैनिकों की अनुशासनिक वीरता का भी परिचायक हैं।


मित्र शक्ति-2025 का महत्व

कर्नाटक के बेलगावी में चल रहा भारत-श्रीलंका का संयुक्त सैन्य अभ्यास “मित्र शक्ति-2025” अपने 11वें संस्करण में है। यह अभ्यास 10 से 23 नवंबर 2025 तक चलेगा, जिसमें भारतीय सेना के 170 जवान (मुख्यतः राजपूत रेजिमेंट) और श्रीलंका के 135 सैनिक (मुख्यतः गजाबा रेजिमेंट) भाग ले रहे हैं। इसके अलावा, दोनों देशों की वायु सेनाओं के 30 सदस्य भी इसमें शामिल हैं। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के अध्याय VII के तहत उप-सामरिक अभियानों, विशेषकर आतंकवाद-निरोधक अभियानों का अभ्यास करना है। दोनों दल विभिन्न सामरिक अभियानों में दक्षता प्रदर्शित कर रहे हैं, जिसमें रेड, सर्च एंड डेस्ट्रॉय मिशन, हेलिबोर्न ऑपरेशन, ड्रोन तकनीक, और घायल सैनिकों की निकासी शामिल हैं।


अजेया वॉरियर-25 का उद्देश्य

वहीं, राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारत-ब्रिटेन का संयुक्त सैन्य अभ्यास “अजेया वॉरियर-25” शुरू हो चुका है। यह 14-दिवसीय अभ्यास 17 से 30 नवंबर 2025 तक चलेगा, जिसमें दोनों देशों के 240 सैनिक समान संख्या में भाग ले रहे हैं। भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व सिख रेजिमेंट कर रही है। यह अभ्यास भी संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत संचालित किया जा रहा है, जिसमें अर्ध-शहरी परिस्थितियों में आतंकवाद-रोधी अभियानों की योजना और ब्रिगेड स्तर पर संयुक्त मिशन प्लानिंग का विशेष ध्यान दिया जा रहा है।


भारत की सामरिक सोच में बदलाव

भारत की सामरिक सोच में पिछले दो दशकों में जो बदलाव आया है, वह क्षेत्रीय नेतृत्व और वैश्विक स्थिरता की आकांक्षा को दर्शाता है। बेलगावी में मित्र शक्ति-2025 और राजस्थान में अजेया वॉरियर-25 जैसे अभ्यास इस बदलाव का स्पष्ट उदाहरण हैं। ये केवल अभ्यास नहीं हैं, बल्कि भारत की सैन्य कूटनीति का दर्पण हैं, जिसमें शक्ति का प्रदर्शन और साझेदारी का विस्तार शामिल है।


साझेदारी और सहयोग का महत्व

मित्र शक्ति-2025 में उप-सामरिक अभियानों पर ध्यान देना इस बात का संकेत है कि आतंकवाद अब केवल सीमाओं के भीतर की चुनौती नहीं रह गया है। हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री मार्गों की सुरक्षा और उभरती चुनौतियों ने भारत-श्रीलंका सहयोग को और महत्वपूर्ण बना दिया है। वहीं, अजेया वॉरियर-25 भारत की सैन्य कूटनीति का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो ब्रिटेन के साथ तकनीकी और सामरिक श्रेष्ठता का आदान-प्रदान करता है।


भारतीय सैनिकों की भूमिका

इन दोनों अभ्यासों की सबसे बड़ी ताकत भारतीय सैनिक हैं। राजपूत, सिख और अन्य रेजिमेंटों के जवान अपनी तकनीकी दक्षता के साथ-साथ साहस और अनुशासन से यह संदेश देते हैं कि भारत की सुरक्षा दृष्टि ठोस और विश्वसनीय है। चाहे बेलगावी में आतंकवाद-रोधी अभियानों का अभ्यास हो या राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बुनियाद को मजबूत करना, भारतीय सैनिक अपनी क्षमता और धैर्य से इन अभियानों को चुनौतीपूर्ण बना देते हैं।


भारत की सामरिक क्षमता का विस्तार

मित्र शक्ति-2025 और अजेया वॉरियर-25 दोनों अभ्यास भारत की सामरिक क्षमता का विस्तार और वैश्विक शांति में योगदान का प्रतीक हैं। ये अभ्यास न केवल आतंकवाद-रोधी अभियानों की दक्षता बढ़ाते हैं, बल्कि भारत की तकनीकी श्रेष्ठता और बहुपक्षीय सुरक्षा ढांचे में सक्रिय भूमिका को भी सुदृढ़ करते हैं। कुल मिलाकर, भारत की सेना केवल सीमाओं की रक्षा करने वाली शक्ति नहीं है, बल्कि यह कूटनीति, शांति और वैश्विक स्थिरता का विश्वसनीय स्तंभ भी है।