भारत की सैन्य रणनीति में 'ऑपरेशन सिंदूर' का महत्व
जनरल अनिल चौहान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में जानकारी साझा की, जो भारत की सैन्य रणनीति और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। इस अभियान ने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को विफल किया और भारतीय सेना की काउंटर-ड्रोन क्षमताओं को उजागर किया। जानें कैसे यह अभियान भारत की रक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और भविष्य के युद्धों में तकनीक की भूमिका को कैसे बदल रहा है।
Jul 16, 2025, 11:24 IST
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ऑपरेशन सिंदूर: एक नई सैन्य सोच
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में जो जानकारी साझा की, वह भारत की सैन्य रणनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह न केवल भविष्य के युद्धों की दिशा को दर्शाता है, बल्कि भारत की तैयारियों को भी स्पष्ट करता है। दिल्ली में आयोजित एक रक्षा कार्यशाला में बोलते हुए, जनरल चौहान ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा 10 मई को किए गए ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशन के प्रयासों को भारत ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया। उन्होंने कहा कि इस दौरान भारतीय सेना या नागरिक संरचना को कोई नुकसान नहीं हुआ।
यह ध्यान देने योग्य है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत का सैन्य अभियान था। इस अभियान के तहत भारत ने न केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoJK) में स्थित आतंकवादी ढांचों पर एयरस्ट्राइक की, बल्कि पाकिस्तान की आक्रामक सैन्य कोशिशों को भी नाकाम किया और कुछ एयरबेस को भी निशाना बनाया।
जनरल चौहान ने कहा कि इस हमले के दौरान पाकिस्तान ने हथियार रहित ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशन का सहारा लिया, जिनमें से अधिकांश को भारत ने 'काइनेटिक' और 'नॉन-काइनेटिक' (इलेक्ट्रॉनिक) तरीकों से निष्क्रिय कर दिया। कुछ ड्रोन भारत के हाथों में सही-सलामत मिले, जो भारत की काउंटर-ड्रोन क्षमता की सफलता का प्रमाण है।
चौहान ने अपने भाषण में ड्रोन के बदलते सैन्य महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक का विकास भले ही क्रमिक हो, लेकिन इसका सैन्य उपयोग अत्यंत क्रांतिकारी साबित हुआ है। आज के युद्धों में ड्रोन की निर्णायक भूमिका को देखते हुए भारतीय सेना ने अपनी रणनीति में तेजी से बदलाव किए हैं। अब ये केवल निगरानी के उपकरण नहीं, बल्कि हमले और रक्षा दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
सीडीएस चौहान ने स्पष्ट किया कि अत्याधुनिक तकनीक के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता भारत की तैयारियों को कमजोर बनाती है। इसलिए, भारत को अपने ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम के लिए स्वदेशी तकनीकों का विकास करना आवश्यक है। उनके अनुसार, अब हथियार और युद्ध के उपकरण छोटे, हल्के, तेज़ और अधिक प्रभावी हो रहे हैं। पहले भारी-भरकम रायफलें होती थीं, जबकि अब छोटी लेकिन अधिक रेंज वाली आधुनिक राइफलें प्रयोग में लाई जा रही हैं। इसी तरह टैंक और विमान भी हल्के, तेज और अधिक सुरक्षित हो गए हैं।
देखा जाए तो जनरल चौहान का यह वक्तव्य न केवल तकनीकी विकास की दिशा दिखाता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की रक्षा रणनीति को भी स्पष्ट करता है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह आयोजन भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' नीति के तहत हो रहा है, जिसका उद्देश्य UAV और C-UAS (Counter Unmanned Aerial System) से जुड़ी महत्वपूर्ण तकनीकों का स्वदेशीकरण करना है। इस वर्कशॉप-कम-एग्ज़िबिशन का उद्देश्य नीति-निर्माताओं, रक्षा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और निजी कंपनियों को एक मंच पर लाकर एक ठोस रणनीतिक रोडमैप बनाना है, ताकि आने वाले वर्षों में भारत UAV और काउंटर-ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पूर्णत: आत्मनिर्भर बन सके।
अंततः, 'ऑपरेशन सिंदूर' केवल एक जवाबी सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की बदलती सैन्य सोच और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस संकेत भी था। यह दर्शाता है कि भारत अब न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए तैयार है, बल्कि तकनीक के हर मोर्चे पर आत्मनिर्भर और सशक्त बनने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।