भारत की सीमा सुरक्षा के लिए मजबूत नीतियों की आवश्यकता: किरेन रीजीजू

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सीमा सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में सीमावर्ती क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। रीजीजू ने बताया कि 2014 से पहले सीमावर्ती गांवों में सुविधाओं की कमी थी, लेकिन अब एक मजबूत नीति के तहत विकास हो रहा है। सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने भाग लिया और सीमा पार से घुसपैठ के प्रभावों पर चर्चा की। जानें इस सम्मेलन में और क्या बातें हुईं।
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भारत की सीमा सुरक्षा के लिए मजबूत नीतियों की आवश्यकता: किरेन रीजीजू

सीमा सुरक्षा पर केंद्रीय मंत्री का बयान

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि भारत की सीमा सुरक्षा के लिए एक ठोस नीतिगत ढांचे की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दस वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं।


दिल्ली विश्वविद्यालय में 'सीमा पार से घुसपैठ: सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवेश पर प्रभाव' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में बोलते हुए, रीजीजू ने कहा, 'देश की पहचान सीमा से शुरू होती है। हमारे देश में अधिकांश लोग सीमावर्ती क्षेत्रों की समस्याओं को नहीं समझते हैं। सीमा पार से घुसपैठ का सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव एक गंभीर मुद्दा है।'


उन्होंने आगे कहा, '2014 से पहले, जब हम सीमा पर जाते थे, तो उस पार के गांवों में सुविधाएं थीं, लेकिन हमारे यहां नहीं थीं। आज, एक मजबूत नीति के तहत, भारत अपने हर इंच की जमीन तक पहुंच बना रहा है।'


अरुणाचल प्रदेश के निवासी रीजीजू ने बताया कि कई सीमावर्ती गांवों के निवासियों ने बुनियादी सुविधाओं की उम्मीद छोड़ दी थी। उन्होंने कहा, '2018 में, सड़कें, बिजली और नेटवर्क आखिरकार गुंजी (उत्तराखंड) जैसे दूरदराज के गांवों तक पहुंच गए। 2014 के बाद के नेतृत्व ने एक मजबूत सीमा नीति लागू की है और अब सकारात्मक बदलाव दिखाई दे रहे हैं।'


इस सम्मेलन का आयोजन सीमा जागरण मंच, मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्यकालीन) और आंतरिक एवं जन सुरक्षा केंद्र (सीआईपीएस) द्वारा किया गया था, जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 174 शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीमा मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने में सीमा जागरण मंच के 'क्रांतिकारी कार्य' की सराहना की।


हेमवती विश्वविद्यालय के कुलपति श्रीप्रकाश सिंह ने सीमा संबंधी चिंताओं पर जन जागरूकता के महत्व पर जोर दिया, जबकि सीमा जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक मुरलीधर ने कहा कि घुसपैठ विकास में एक बड़ी बाधा बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा, 'देश की सुरक्षा केवल सेना और पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है; हर नागरिक को अपनी भूमिका समझनी चाहिए।' सम्मेलन के संयोजक श्याम नारायण पांडे ने कहा कि सीमा पार से घुसपैठ दक्षिण एशिया को प्रभावित कर रही है, जिससे सुरक्षा, स्थानीय अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान पर असर पड़ रहा है।'