भारत की सख्त कार्रवाई: उल्फा-आई के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक

भारत की सैन्य कार्रवाई
पूर्वोत्तर भारत में दशकों से सक्रिय उग्रवादी संगठन उल्फा-आई (ULFA-I) के खिलाफ भारत ने एक बार फिर कठोर सैन्य कदम उठाया है। हाल ही में म्यांमार के सगाईंग क्षेत्र में स्थित उल्फा-आई के ठिकानों पर भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की खबरें आई हैं। हालांकि, सेना ने इस ऑपरेशन के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत अब सीमा पार से पूर्वोत्तर में अस्थिरता फैलाने वाले समूहों को बख्शने के मूड में नहीं है.
उग्रवादियों की गतिविधियाँ
भारत और म्यांमार की सीमा जटिल और पहाड़ी है, जिससे उग्रवादी संगठनों को छिपने और अपने ठिकाने संचालित करने में आसानी होती है। उल्फा-आई, एनएससीएन, पीएलए, केवाईकेएल, और पीआरईपीएके जैसे संगठन वर्षों से म्यांमार में अपने कैंप चलाते रहे हैं और भारत में घुसपैठ, हथियारों की तस्करी और सुरक्षाबलों पर हमलों की साजिशें रचते रहे हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से इन गतिविधियों पर नजर रख रही थीं.
सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी
उल्फा-आई के अनुसार, भारतीय सेना ने इजरायली और फ्रांसीसी तकनीक वाले ड्रोन का उपयोग कर सटीक हमले किए, जिसमें उनके वरिष्ठ उग्रवादी नयन आसम, गणेश आसम और प्रदीप आसम मारे गए। यह हमला तीन चरणों में हुआ, जिसमें पहले हमले में नयन आसम को निशाना बनाया गया और उसके अंतिम संस्कार के दौरान अन्य दो उग्रवादी मारे गए। इस हमले में लगभग 19 अन्य सदस्य घायल हुए.
उग्रवादी संगठनों का इतिहास
1980 के दशक से म्यांमार में पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी संगठनों के कैंप मौजूद हैं। ये संगठन भारत-म्यांमार की खुली और कठिन सीमा का लाभ उठाकर अपनी गतिविधियां संचालित करते रहे हैं। उल्फा-आई के मुख्य ठिकाने म्यांमार के सगाईंग के घने जंगलों में हैं, जबकि अन्य कैंप वकथम बस्ती, होयत बस्ती और हाकियोट में भी फैले हुए हैं.
म्यांमार में सुरक्षा स्थिति
म्यांमार के सैन्य और जातीय गुट अक्सर इन उग्रवादी संगठनों को समर्थन या संरक्षण देते रहे हैं। बदलते हालात के अनुसार, इन कैंपों की स्थान बदलने की रणनीति अपनाई जाती है ताकि भारतीय सीमा से सैन्य कार्रवाई की स्थिति में बचा जा सके.
राजनीतिक प्रतिक्रिया
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, जिन्होंने उल्फा-आई के साथ शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया था, ने इस कार्रवाई पर कहा है कि इस संबंध में अभी तक कोई स्पष्ट सूचना नहीं है। भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने भी आधिकारिक रूप से किसी ऑपरेशन की पुष्टि नहीं की है.
भविष्य की रणनीति
इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब केवल बातचीत और आश्वासन की नीति पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि ठोस सैन्य कार्रवाई की रणनीति पर भी आगे बढ़ रहा है। म्यांमार के इन गुटों को अब यह समझ आ गया है कि सीमा पार छिपना कोई सुरक्षित विकल्प नहीं है.
राष्ट्रीय सुरक्षा का संदेश
भारत की यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद विरोधी नीति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर सीमा पार जाकर भी कार्रवाई करेगा.