भारत की शतरंज में 2025 की बड़ी उपलब्धियाँ

भारत के शतरंज खिलाड़ियों ने 2025 में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिसमें विश्व चैंपियन डी. गुकेश का कार्लसन को हराना और दिव्या देशमुख का महिला विश्व कप जीतना शामिल है। इस वर्ष की सफलताओं ने भारतीय शतरंज को एक नई दिशा दी है। जानें कैसे ये खिलाड़ी भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं।
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भारत की शतरंज में 2025 की बड़ी उपलब्धियाँ

भारत की शतरंज में नई ऊँचाइयाँ

नई दिल्ली
भारत के लिए शतरंज का वर्ष 2025 विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है। भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई खिताब जीतकर देश का मान बढ़ाया है। विश्व चैंपियन डी. गुकेश ने नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल फॉर्मेट में पहली बार हराया। आर. प्रज्ञानंदा ने डी. गुकेश को हराकर टाटा स्टील चेस टूर्नामेंट 2025 का खिताब अपने नाम किया। प्रज्ञानंदा ने सुपरबेट चेस क्लासिक रोमानिया, उजचेस कप और लंदन चेस क्लासिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए फीडे सर्किट 2025 जीतकर 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया। वह पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी हैं जिन्होंने सर्किट जीतकर कैंडिडेट्स में जगह बनाई।
महिला वर्ग में दिव्या देशमुख ने बातूमी में महिला विश्व कप जीता, जिससे वह फिडे महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। उन्होंने प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब भी जीता और 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया।
इस वर्ष भारत की शतरंज में ये तीन प्रमुख सफलताएँ रहीं। फिडे विश्व कप 2025 का आयोजन गोवा में हुआ था, जहाँ डी. गुकेश, आर. प्रज्ञानंदा, विदित गुजराती और दिव्या देशमुख से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन इनमें से कोई भी अंतिम राउंड तक नहीं पहुँच सका। भारत में आयोजित विश्व कप में किसी भी भारतीय का अंतिम चरण तक न पहुँच पाना निश्चित रूप से निराशाजनक रहा, लेकिन खिलाड़ियों ने भविष्य के लिए उम्मीदें जगाई हैं। आने वाले वर्षों में युवा खिलाड़ियों से बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद की जा सकती है।
भारत शतरंज के क्षेत्र में तेजी से एक मजबूत वैश्विक ताकत के रूप में उभर रहा है। विश्वनाथन आनंद 1988 में पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर बने थे, और वर्तमान में 91 ग्रैंडमास्टर हैं। यह संख्या शतरंज में हमारी बढ़ती ताकत का प्रमाण है।