भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए मोदी के नए निर्णय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की सेनाओं की शक्ति को बढ़ाने के लिए हाल ही में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इनमें 97 तेजस Mk-1A लड़ाकू विमानों की खरीद और जहाज निर्माण के लिए 69,725 करोड़ रुपये के सुधार पैकेज शामिल हैं। ये निर्णय भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नई ऊँचाई पर ले जाने में सहायक हो सकते हैं। तेजस सौदा स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जबकि जहाज निर्माण सुधार से भारत की सामरिक स्थिति मजबूत होगी। हालांकि, आत्मनिर्भरता की राह में कई चुनौतियाँ भी हैं।
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भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए मोदी के नए निर्णय

प्रधानमंत्री मोदी के सामरिक निर्णय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की सेनाओं की शक्ति को बढ़ाने के लिए हाल ही में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जो दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को भारत के पक्ष में मोड़ने का संकेत देते हैं। एक तरफ, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 97 तेजस Mk-1A लड़ाकू विमानों की खरीद का ऐतिहासिक सौदा हुआ है, जबकि दूसरी ओर, जहाज निर्माण और समुद्री अवसंरचना के लिए 69,725 करोड़ रुपये के सुधार पैकेज की घोषणा की गई है। ये दोनों निर्णय भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता और रणनीतिक स्वायत्तता को नई ऊँचाई पर ले जाने में सहायक हो सकते हैं.


तेजस सौदे का महत्व

यह सौदा अब तक का सबसे बड़ा स्वदेशी लड़ाकू विमान सौदा है। इससे पहले, फरवरी 2021 में 83 तेजस Mk-1A विमानों का अनुबंध 46,898 करोड़ रुपये में हुआ था, जिसकी डिलीवरी 2024-28 के बीच होगी। नई डील में 68 सिंगल-सीट फाइटर और 29 ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं, जिनमें UTTAM AESA रडार, स्वयम् रक्षा कवच इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और स्वदेशी नियंत्रक एक्ट्यूएटर जैसे 67 अतिरिक्त घटक होंगे। इसका 64% से अधिक हिस्सा स्वदेशी तकनीक से निर्मित होगा.


IAF की ऑपरेशनल क्षमता

IAF के पुराने मिग-21 बेड़े की सेवानिवृत्ति से पहले हुआ यह समझौता वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वर्तमान में भारत के पास केवल 29 स्क्वाड्रन हैं, जबकि अधिकृत संख्या 42.5 है। पाकिस्तान के पास 25 स्क्वाड्रन हैं और चीन के पास इनकी संख्या भारत से चार गुना है। इस प्रकार, तेजस का यह बड़ा ऑर्डर केवल संख्या बढ़ाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह लंबी अवधि की युद्धक क्षमता में निवेश है.


जहाज निर्माण में सुधार

इसके अलावा, जहाज निर्माण क्षेत्र में 69,725 करोड़ रुपये के सुधार पैकेज का निर्णय भी रक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसे "मदर ऑफ हैवी इंजीनियरिंग" कहा गया है, क्योंकि यह न केवल जहाज निर्माण क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि ऊर्जा, खाद्य और सामरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी सुरक्षित करेगा। यह योजना चार स्तंभों पर आधारित है.


आत्मनिर्भरता और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन

इन दोनों पहलों का सम्मिलित प्रभाव भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नई दिशा देगा। तेजस सौदा यह दर्शाता है कि भारत अपनी वायु शक्ति को विदेशी आयात पर निर्भर नहीं रहने देगा। हालांकि, कुछ हथियार प्रणालियों के लिए विदेशी सहयोग आवश्यक है, लेकिन देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है.


चुनौतियाँ और संभावनाएँ

हालांकि आत्मनिर्भरता की राह आसान नहीं है। तेजस परियोजना में देरी और तकनीकी अड़चनों का सामना करना पड़ा है। वायुसेना ने बार-बार कहा है कि "संख्या की कमी आत्मनिर्भरता के नाम पर नहीं झेली जा सकती।" जहाज निर्माण क्षेत्र में भी पूंजीगत निवेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बड़ी चुनौतियाँ हैं.