भारत की नई परमाणु पनडुब्बी S4* का समुद्री परीक्षण शुरू
S4* पनडुब्बी का परीक्षण
सांकेतिक तस्वीर
भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रहा है। समुद्र से लेकर आकाश तक, देश की सैन्य शक्ति में वृद्धि हो रही है। इसी क्रम में, चौथी परमाणु शक्ति से संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी S4* ने अपने समुद्री परीक्षण आरंभ कर दिए हैं। रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह पनडुब्बी पिछले सप्ताह विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर से समुद्र में उतरी है। इसे भारत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, S4* का वजन लगभग 7,000 टन है और यह अरिहंत श्रेणी की अंतिम पनडुब्बी है। इसका मुख्य उद्देश्य समुद्र से परमाणु प्रतिक्रिया देने की क्षमता को बढ़ाना है, जिससे नौसेना की ताकत में और वृद्धि होगी।
S4* की स्वदेशी विशेषताएँ
S4* की विशेषताओं में 8 K-4 मिसाइलों की तैनाती शामिल है, जिनकी रेंज 3,500 किलोमीटर से अधिक है। यह भारत को दूर तक लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता प्रदान करेगा। इस पनडुब्बी में 80 प्रतिशत से अधिक सामग्री स्वदेशी है, जिससे यह अरिहंत क्लास की सबसे अधिक स्वदेशी सामग्री वाली पनडुब्बी बन गई है। यह दर्शाता है कि भारत अब परमाणु पनडुब्बी निर्माण में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो चुका है।
समुद्री परीक्षण की अवधि
सूत्रों के अनुसार, S4* के समुद्री परीक्षण एक से दो साल तक चल सकते हैं। यदि सब कुछ सही रहा, तो इसे 2027-28 के आसपास भारतीय नौसेना में शामिल किया जा सकता है। फिलहाल, पनडुब्बी का नाम तय नहीं किया गया है, क्योंकि नामकरण आमतौर पर सभी परीक्षणों के पूरा होने के बाद किया जाता है। इन परीक्षणों में रिएक्टर की जांच, इंजन की क्षमता, पानी के भीतर हथियार परीक्षण और पूरे सिस्टम की सुरक्षा की परख की जाती है। S4* के शामिल होने से भारत की समुद्री परमाणु ताकत और अधिक मजबूत होगी, जिससे देश की सुरक्षा को एक बड़ा सहारा मिलेगा।
भारत के पास अब 4 एसएसबीएन हैं, जिनमें से दो नौसेना की सेवा में हैं और दो परीक्षण के अधीन हैं। तीसरा एसएसबीएन, आईएनएस अरिधमन, 2026 के अंत में कमीशन होने के लिए तैयार है, और इसके एक साल बाद S4* भी सेवा में आ जाएगा.
