भारत की तकनीकी प्रगति: 2025 में आत्मनिर्भरता और वैश्विक पहचान
भारत की तकनीकी यात्रा में नया मोड़
साल 2025 ने भारत की विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में एक नया अध्याय खोला है, जिसमें देश ने विभिन्न क्षेत्रों में आत्मविश्वास और वैश्विक पहचान के साथ अपनी स्थिति मजबूत की है। यह प्रौद्योगिकी के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष अन्वेषण, परमाणु ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में भारत ने यह साबित किया है कि वह केवल वैश्विक तकनीकों को अपनाने वाला नहीं है, बल्कि उन्हें विकसित भी कर रहा है।
AI क्रांति: डिजिटल आधारभूत संरचना को सशक्त बनाना
भारत सरकार ने एआई मिशन के तहत नैतिक और मानव-केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। इसका उद्देश्य एआई को सामाजिक लोकतंत्रीकरण का एक साधन बनाना है, विशेषकर ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करने में। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में, भारत ने अपने राष्ट्रीय एआई इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करते हुए 15,916 नए जीपीयू जोड़े हैं।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का नया युग
भारत ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को अपने टेक्नोलॉजी मिशन का केंद्र बना दिया है। मई 2025 में, नोएडा और बेंगलुरु में 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन के लिए दो उन्नत संयंत्र स्थापित किए गए। ये संयंत्र भारत की सेमीकंडक्टर आवश्यकताओं के आयात पर निर्भरता को कम करने का प्रतीक हैं।
महत्वपूर्ण खनिजों का राष्ट्रीय मिशन
मोदी सरकार ने जनवरी 2025 में 16,300 करोड़ रुपये के व्यय के साथ राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की। इसका उद्देश्य भारत की खनिज मांग को पूरा करना और सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है।
स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी में प्रगति
इसरो ने 30 जुलाई, 2025 को GSLV-F16 रॉकेट पर NISAR का सफल प्रक्षेपण किया। यह भारत-अमेरिका सहयोगात्मक मिशन है। जुलाई 2025 में, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने।
परमाणु ऊर्जा में सुधार
दिसंबर 2025 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025 को मंजूरी दी। यह विधेयक भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा।
अनुसंधान और नवाचार में बदलाव
मोदी सरकार ने अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता दी है। 3 नवंबर, 2025 को शुरू की गई 1 लाख करोड़ रुपये की योजना भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
